घर का भेदी लंका ढाए Ghar ka Bhedi Lanka Dhaye पंद्रह अगस्त का दिन था। भारत का स्वाधीनता दिवस! दादाजी अमर और लता को बता रहे थे कि …
गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है Gehu ke sath Ghun bhi pis jata hai लता ने स्कूल से आकर बैग एक तरफ रख दिया। वह दादाजी …
गरजते बादल बरसते नहीं Jo Garajte hai wo Baraste nahi एक दिन अमर और लता दादाजी के साथ बाजार से घर लौट रहे थे। तभी रास्ते में एक …
खोदा पहाड़ निकली चुहिया Khoda pahad nikla Chuha दादाजी अखबार पढ़ते-पढ़ते बोले-“ये देखो कैसी खबर है! एक सेठ के घर में चोरी हो गई। चोर ने लाखों के जेवर …
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे Khisyani Billi Khamba Noche अमर के पिताजी ऑफिस से आए तो किसी बात पर उन्होंने अमर को डाँट दिया। अमर रोने लगा। यह सुनकर …
कंगाली में आटा गीला Kangali me Ata Gila देश तीन-चार दिन से शांति काम करने नहीं आ रही। क्या हुआ उसे? का पता चला क्या बात है?” दादाजी ने …
एक हाथ से ताली नहीं बजती Ek Haath se tali nahi bajti लता को उदास देखकर दादाजी ने पूछ लिया-“लता बेटे, क्या बात है? उदास क्यों हो?” “दादाजी, मुझे …
एक पंथ दो काज Ek Panth Do Kaj शाम का समय था। दादाजी ने आवाज लगाई–“अरे भई, क्या बात है? आज चाय नहीं बनेगी क्या?” दादाजी की आवाज सुनकर …
एकता में ही बल है Ekta me hi Bal hai दादाजी ने आवाज लगाई–“अमर बेटा, जरा पानी की बाल्टी उठाकर लाना। पौधों में पानी देना है।” अमर पानी …
एक अनार, सौ बीमार Ek Anar, Sau Bimar एक दिन शाम के समय अमर और लता दादाजी के साथ मंदिर गए। वहाँ उन्होंने देखा कि एक आदमी भिखारियों को …