तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौर Tete pav pasariye jeti lambi Sor एक दिन काम वाली शांतिबाई देर से आई। दादाजी ने पूछ लिया-“क्या हुआ शाति, आज देर कैसे …
तबले की बला बंदर के सिर Table ki Bala Bander ke Sir एक दिन दादाजी अखबार पढ़ रहे थे। दादीजी दाल बीन रही थीं। अमर और लता अपना …
डूबते को तिनके का सहारा Dubte ko Tinke ka Sahara अमर और लता अपनी मम्मी के पास बैठे होमवर्क कर रहे थे। तभी वहाँ पड़ोस में रहने वाली …
जैसी करनी वैसी भरनी Jesi Karni Wesi Bharni अजी, सुना आपने?” दादीजी ने हाँफते हुए दादाजी से कहा-“वो जो बलवान सिंह है, जिसने गाँव में होली वाले दिन जीवन …
जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय Jako rakhe Saiya maar sake na koi दादाजी अखबार पढ़ रहे थे। अमर और लता उनके पास बैठे हुए अपना स्कूल का …
जल में रहकर मगर से बैर Jal me rehkar Magar se bair एक दिन स्कूल से घर आकर अमर ने खाना भी नहीं खाया और गुमसुम रोकर बैठ गया। …
चोर-चोर मौसेरे भाई Chor Chor Mosere Bhai अमर स्कूल से घर आते ही सीधा दादाजी के पास गया और बोला-“दादाजी. पता है आज हमारी क्लास में क्या हुआ?” “क्या …
चिराग तले अँधेरा Chirag tale Andhera दीवाली का दिन था। घर में चारों तरफ रंग-बिरंगे बल्बों की रोशनी हो रही थी। फूल-मालाएँ लटक रही थीं। दरवाजों पर बंदनवार शोभा …
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात Char din ki Chandni phir andheri raat दादाजी के मोहल्ले में एक पहलवान रहता था। उसका नाम था घमंडीलाल। वह दूध …
घर की मुर्गी दाल बराबर Ghar ki Murgi Daal Barabar एक दिन दादाजी, अमर, लता और दादीजी घर के बाहर आँगन में बैठे थे। उसी समय पड़ोस में रहने …