टोस्टर
Toaster
(ब्रेड सेंकने के लिए)
ब्रेड टोस्ट करने अर्थात् सेंकने का चलन हजारों सालों से चला आ रहा है। प्राचीनकाल में मिस्र के निवासी ब्रेड सेंककर रख लेते थे। नमी समाप्त हो जाने के कारण वह ज्यादा दिनों तक सुरक्षित बनी रहती थी। हालांकि इसमें प्रारम्भ में कुछ परेशानियां आईं। पहली और दूसरी स्लाइस तो ठीक सिंकती थी, पर बाद की स्लाइसे काली पड़ने लगती थीं। सन् 1930 में इसमें थर्मोस्टेट लगा दिया गया। तब यह समस्या भी दूर हो गई। आज यह टोस्टर पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय है।
पहले ब्रेड को कोयले की आंच पर सेंका जाता था। सन् 1909 में बिजली से चलने वाले टोस्टर आ गए। इनमें नीचे एक हीटर होता था और उसके ऊपर तारों की जाली होती थी। हीटर और जाली के बीच माइका होता था, जो कुचालक का काम करता था और इससे ब्रेड सेंकने वाले को करेंट नहीं लगता था। ब्रेड सेंकने वाला व्यक्ति एक बार में ब्रेड का एक हिस्सा ही सेंक पाता था। सेंकने वाले को ब्रेड पर लगातार नजर रखनी पड़ती थी, अन्यथा ब्रेड जल भी जाती थी।
चार्ल्स स्ट्राइट नामक एक मैकेनिक मिनीसोटा के एक प्लांट में कार्य कर रहा था। उसे अकसर अपनी कम्पनी के कैफेरिया में ही खाना पड़ता | था। एक दिन उसने नाश्ते में टोस्ट का ऑर्डर दिया। थोड़ी देर में उसके सामने नाश्ते में ब्रेड पीस लाया गया, जो कड़ा और जला हुआ था। भूख से परेशान स्ट्राइट ने उसे किसी तरह खा तो लिया, पर साथ ही यह तय किया कि वह खुद ही नया टोस्टर बनाएगा।
उसके वर्कशॉप में तरह-तरह के तार व स्प्रिंग आदि थे ही। उसने तरह-तरह के प्रयोग किए और एक ऐसा टोस्टर तैयार किया, जो पहले | के टोस्टर से काफी बेहतर था। इसमें ब्रेड एक साथ दोनों ओर से सेंकी जा सकती थी। इसमें टाइमिंग उपकरण भी था। इससे ब्रेड निश्चित समय तक सिंकती थी, उसके बाद वह स्प्रिंग की सहायता से बाहर आ जाती थी और हीटर की बिजली कट जाती थी।
प्रारम्भ में स्ट्राइट का यह पॉप अप टोस्टर सिर्फ होटल, रेस्तरां आदि में ही बिका। बाद में सन् 1927 में इसका घरेलू मॉडल बाजार में आया, जो खासा लोकप्रिय हुआ। इसका नाम ‘टोस्ट मास्टर’ रखा गया। इससे | बिना मेहनत के बढ़िया तरह से ब्रेड सिंक जाती थी। इसका अच्छा प्रचार-प्रसार किया गया। लोग देखते भी थे कि इसमें ब्रेड लगातार सेंकी जाती है और बिना पलटे, बिना जले तैयार हो जाती है।