माचिस
Matchbox

History of Match Box in Hindi
(आग जलाने के लिए उपयोगी)
कुल लोगों ने मचिस की विशेषता को देखते हुए उसे हिन्दी में एक लम्बा, मगर सटीक नाम दिया है-‘झटाझट रगड़ से अग्नि-उत्पादक यंत्र’ । सचमुच, यह है झटपट रगड़कर आग पैदा करने वाला एक छोटा-सा यंत्र ही न! माचिस बनती है फास्फोरस से और फास्फोरस की खोज सन् 1669 में हेनिंग ब्रांट नामक एक रसायन-विज्ञानी ने यूरोप में की। इस खोज के बाद उसने यह बताया कि इस (फास्फोरस) में ज्वलनशीलता का गुण विद्यमान है। यह मानवमात्र के लिए काफी उपयोगी होगा।
उन दिनों फास्फोरस के माध्यम से चिनगारी निकलते देखने के लिए यूरोप के अमीर पूरे पैसे खर्च करने में कोताही नहीं बरतते थे।
इसके लगभग डेढ़ सौ साल बाद (सन् 1827 में) इंग्लैंड में जॉन वाकर नामक एक व्यक्ति ने फास्फोरस से माचिस बनाई और उसका नाम रखा-‘ल्यूसीफर। लैटिन भाषा में ल्यूसीफर का अर्थ है-रोशनी जलाना। ल्यूसीफर को अपघर्षी कागज के बीच रखकर रगड़ने से आग उत्पन्न होती थी।
कुछ ही समय बाद पता चला कि सफेद फास्फोरस मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बड़ा ही हानिकारक होता है। इससे श्रमिकों के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा। इस समस्या के निवारण की दिशा में कदम उठाते हुए तब की प्रमुख माचिस-उत्पादक कम्पनी ‘डायमंड’ सफेद फास्फोरस के स्थान पर फास्फोरस के यौगिक रूप ‘सेसक्विसल्फाइड’ का उपयोग करने लगी। यह मनुष्य के लिए पूरी तरह से हानिरहित था। इससे माचिस की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आई। फलतः माचिस-निर्माण के क्षेत्र में एक नवीन युग का सूत्रपात हुआ।