जीन्स
Jeans
(आधुनिकता की पहचान)
जीन्स की पैंट आजकल काफी लोकप्रिय है। यह काफी मजबूत होती। है। यदि यह गंदी और कहीं से फटी भी हो तो उसे फैशन माना जाता है। इसके जन्म की कथा भी कुछ ऐसी ही है। बाद में जब जिपर का आविष्कार हुआ तो जीन्स में जिपर भी लगने लगे, जो पैंट की मजबूती के साथ-साथ आकर्षण भी बढ़ाने लगे।
ऑस्कर लेवी स्ट्रॉस नामक व्यक्ति रोजगार की तलाश में सन् 1849 में कैलीफोर्निया आया, जहां सोने की खान में लोग काम करते थे। वह | इलाका खुशहाल होता जा रहा था। वहां के खान मजदूरों के सामने एक समस्या थी। उनका ज्यादातर समय खान के अन्दर खुदाई में बीतता था और उनकी पैंट घुटनों तक खराब हो जाती थी। नई पैंट चन्द दिनों में चिथड़े-चिथड़े हो जाती थी।
एक खदान मजदूर ने लेवी स्ट्रॉस को सलाह दी कि वह ऐसे मजबूत व टिकाऊ कपड़े की पैंट तैयार करे, जो काफी दिन चले। साथ ही गंदी या फटी होने पर भी बुरी न लगे। लेवी स्ट्रॉस प्रयास में जुट गया।
उस समय स्ट्रॉस की जानकारी में तंबू लगाने में इस्तेमाल होने वाला कपड़ा सबसे मजबूत कपड़ा था। उसने उस कपड़े की पैंट की और उनका प्रयोग उन मजदूरों के द्वारा प्रारम्भ कर दिया। मजदूरों को ये पैंट बहुत पसन्द आई और खरीदारों का तांता लग गया।
बाद में स्ट्रॉस ने फ्रांस की नीम्स नामक कंपनी को ऑर्डर देकर कपड़ा बनवाया और उस कपड़े की पैंट तैयार की, जिन्हें ‘डेनिम” कहा जाने लगा।
प्रारम्भ में नीले रंग के अलावा भूरे रंग की भी जीन्स की पैंट मिलती थी। सन् 1896 के बाद नीली जिन्स का प्रचलन बढ़ता चला गया। समय के साथ इन जीन्स की पैंटों में आवश्यकतानुसार परिर्वतन किए गए, जो फैशन बन गए। अलकाली आइक नामक खान में इस्तेमाल होने वाले टूल, उपकरण आदि अपनी जेब में रखता था और उन्हें लापरवाही से निकालता था। इससे उसकी जेबों की सिलाई अकसर उधड़ जाती थी। सिलाई । करते-करते उसका दर्जी परेशान हो गया।
एक दिन उस दर्जी ने उस लोहार को उसकी जीन्स दी और कहा कि पैंट की जेब के जोड़ों पर रिवेट लगा दो। लोहार ने रिवेट लगा दी। अब सिलाई खुलने का झंझट तो खत्म हो ही गया, पैंट भी आकर्षक हो गई। चतुर लेवी स्ट्रॉस उसके बाद हर जीन्स की जेबों में रिवेट लगाने लगा।