History of “Ice Cream”, “आइसक्रीम” Who & Where invented, Paragraph in Hindi for Class 9, Class 10 and Class 12.

आइसक्रीम

Ice Cream 

History of Ice Cream in Hindi

History of Ice Cream in Hindi

(गर्मी में तरावट और शुकून का एहसास)

 

चिलचिलाती गरमी के मौसम में आइसक्रीम का नाम सुनते ही देह  और दिमाग को एक तरावट भरे। सुकून का एहसास होता है। उपलब्ध तथ्यों के अनुसार, बर्फ और फलों के रस को मिलाकर आइसक्रीम बनाने की कला का जन्म चीन में हुआ था। लेकिन कब-इस विषय में कोई एक मत नहीं है। खैर,  उसका जन्मकाल चाहे जो रहा हो, सन् 1995 में जब मार्को पोलो चीन से वापस इटली गया तो वहां के लोगों को आइसक्रीम के बारे में तरह-तरह की बातें बताई, जिन्हें सुनकर वहां (इटली) के लोगों के मुंह में पानी भर आया; वे भी आइसक्रीम खाने के लिए मचल से उठे, लेकिन वे अतृप्त ही रहे।

आइसक्रीम बनाने की यह कला डेढ़-दो सौ साल बाद किसी तरह चीन से फ्रांस पहुंची, लेकिन आम आदमी के बीच नहीं, वहां के राजा के पास। सन् 1685 में फ्रांस के राजा हेनरी चतुर्थ की पुत्री का विवाह इंग्लैंड के राजा चार्ल्स प्रथम से हुआ।  विवाह के बाद जब महारानी (राजा चाल्र्स की पत्नी) इंग्लैंड पहुंची तो अपने साथ तीन-चार ऐसे लोगों को भी लाई |

जब आइसक्रीम को राजा ने चखा और खाया तो उन्हें असीम सुख की अनुभूति हुई। वे उससे इतने अधिक प्रसन्न हुए कि आइसक्रीम बनाने वाले उन कारीगरों  को बख्शीश के तौर पर अच्छी-खासी रकम दी, इस मनुहार के साथ कि वे इस कला को अपने पास ही संजोकर रखे रहे। दरअसल, वे (चाल्स) यह नहीं चाहते थे कि राजा-रानी द्वारा खाई जाने वाली इस खास चीज को आम आदमी खाएं; लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। अगले  तीस-पैंतीस वर्षों में यह कला वहां से इंग्लैंड के कुछ बड़े अमीर लोगों तक पहुंच ही गई और फिर उसके बाद के चालीस-पचास वर्षों में यह कला आम आदमी तक पहुंच गई।

तब आइसक्रीम बनाने की कला खास इसलिए थी कि उस समय तक आइसक्रीम बनाने के लिए न तो कोई कारखाना था, न घरेलू फ्रीज ही। उन दिनों बहुत ही नजाकत और नफासत से आइसक्रीम जमाई जाती थी।

आइसक्रीम जमाने का विश्व का पहला यंत्र सन् 1846 में नैंसी जॉनसन नामक एक अमेरिकी महिला ने बनाया। आइसक्रीम जमाने के | लिए हाथ से चलाए जाने वाले इस यंत्र में एक दोहरी दीवार होती थी. बर्फ भरी रहती थी और मुख्य पात्र में दूध तथा फलों का रस भरा जाता था।

इसी यंत्र के द्वारा सन् 1851 में बाल्टीमोर के एक दूध व्यवसायी ने बड़े पैमाने पर आइसक्रीम बनाना और बेचना प्रारम्भ किया। यह विश्व का प्रथम आइसक्रीम कारखाना था। इसके आठ-दस साल के अन्दर विश्व के अन्य देशों में भी ऐसे ही कारखाने स्थापित हुए।  उनमें उत्पादित आइसक्रीम की अच्छी बिक्री के कारण वह दिनोंदिन लोकप्रिय होने लगी।

बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ तक आइसक्रीम दुनिया भर में आम आदमी द्वारा पहचानी ही नहीं बल्कि खाई भी जाने लगी। कोनवाली आइसक्रीम (सॉफ्टी) की शुरुआत सन् 1904 में सेंट लुइस में और डंडी पर जमी आइसक्रीम की शुरुआत 1911 में कनाडा में हुई। बीसवीं शताब्दी के छठे दशक में ईंट के आकार वाली आइसक्रीम शादी-पार्टी वगैरह के लिए खासतौर पर जमाई और बेची जाने लगी। यह आइसक्रीम हमारे देश में आठवें दशक के अंत तक आम मध्यवर्गीय लोगों की पहुंच में आने लगी। इसे पावरोटी (ब्रेड ) के स्लाइस की तरह काट-काटकर प्लेट में परोसा जाने लगा। उ ही दिनों हमारे देश में फ्रीज के बदले प्रयोग के,  साथ ही मध्यवर्गीय घरों में गरमी के दिनों में आदररक्रीम जमाई और खाई जाने लगी। हमारे देश में आदीम , दीवानों की संख्या इस कदर बढ़, गई कि लोग ठंड के मौसम में भी रात को बाजार में कमी करले हुए आइसक्रीम खाते हैं। अब तो आइसक्रीम अनेक फ्लेवर और रंगों में मिलने लगी है।

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