विद्युत बल्ब
Electric Bulb
(उजाला फैलाने के लिए)
उन्नीसवीं सदी के मध्य में बिजली अनेक वैज्ञानिकों ने बल्ब बनाए और उन्हें बैटरी के द्वारा प्रकाशित करने का प्रयास किया; पर ये बल्ब बहुत जल्दी ही फ्यूज हो जाते थे। प्रख्यात. वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडीसन ने बिजली उत्पादन, बिजली के सस्ते वितरण के तरीके तैयार करने के अलावा बिजली से जलने वाला बल्ब भी तैयार किया। इसमें फिलामेंट के स्थान पर कार्बोनाइज्ड ग्रेड (धागा) का प्रयोग किया गया था। यह बल्ब काफी देर तक जलता था। इसके साथ ही जो क्रान्ति का दौर प्रारम्भ हुआ, उसे ‘ज्योति क्रान्ति’ का नाम दिया जा सकता है।
सन् 1875 से पूर्व रात होते ही घरों में मोमबत्तियां, लालटेने तथा गैस के हंडे (पेट्रोमैक्स) जला दिए जाते थे, जो बहुत ज्यादा रोशनी नहीं कर पाते थे। मनुष्य खाना खाकर और जरूरी काम निपटाकर जल्दी ही सो जाता था। रात में किसी तरह का कारोबार करना सम्भव नहीं था।
उन्नीसवीं सदी के नौवें दशक में न्यूयॉर्क में पहला पावर प्लांट लगाया गया और सन् 1882 में शहर में विद्युत वितरण का कार्य प्रारम्भ हो गया। अब विद्युत बल्ब घर-घर में प्रकाश फैलाने लगे। बीसवीं सदी के प्रथम दशक में मरकरी लैंप विकसित हुए, पर शीघ्र ही टंगस्टन हैलोजन लैंप विकसित हो गए, जो काफी समय तक प्रयोग में आए। आज भी ये बल्ब खूब प्रयोग में आते हैं।
साधारण बल्ब में बिजली की खपत ज्यादा होती है। इस कारण ये जल्दी गरम भी हो जाते हैं। अब ऐसे लैंपों का विकास किया गया, जो 20 प्रतिशत विद्युत ऊर्जा का प्रयोग करके उतनी ही रोशनी में जितनी कि एक बल्ब देता है। इस क्रम में फ्लोरेसेंट लैंपों का विकास किया गया। कम ऊर्जा की खपत वाले लैंप कम गरमी पैदा करते हैं और इस कारण उन्हें ‘ठंडा लैंप’ भी कहा जाता है।
दरअसल, फ्लोरेसेस वह प्रक्रिया है, जिसमें कुछ पदार्थ ऊर्जा ग्रहण करके प्रकाश देते हैं। ज्यों ही ऊर्जा का स्त्रोत हट जाता है त्यों ही रोशनी का आना बंद हो जाता है। जुगनू आदि जो प्रकाश देते हैं, उन्हें बायोफ्लोरेसेस कहा जाता है।
फ्लोरेसेस की जानकारी वैज्ञानिकों को आज से लगभग चार-पांच सौ वर्ष पूर्व ही हो चुकी थी; पर यह प्रक्रिया कैसे होती है-यह जानकारी सन् 1852 में जॉर्ज जी. स्टोक्स ने दी।
पहले-पहल फ्लोरेसेंट लैंप सन् 1938-39 में विकसित किए गए। उन्हें न्यूयॉर्क के विश्व मेले में प्रदर्शित किया गया। ये लैंप ज्यादा चलते हैं और दफ्तरों, कारखानो आदि में ज्यादा प्रयोग में आते हैं।