Hindi Story, Essay on “Sankat mein Budhimani se Kaam Lena Chahiye ”, “सकंट में बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

सकंट में बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए

Sankat mein Budhimani se Kaam Lena Chahiye 

दो व्यक्ति एक सराय में रात गुजारने के लिए रूके। सराय में अधिक भीड़ होने के कारण सराय के मालिक ने दोनों को एक ही कमरे में ठहरा दिया। पहला व्यक्ति हीरे का व्यापारी था। वह अपने साथ हीरे तथा । कुछ नकदी लाया था। दूसरा व्यक्ति चोर था और वह हीरे के व्यापारी का पीछा करते हुए ही सराय में आया था। एक ही कमरा मिलने पर चोर बहुत प्रसन्न हुआ। अब वह अपना काम आसानी से कर सकता था। व्यापारी जब खाना खाने बाहर गया तो चोर ने उसके सारे सामान की तलाशी ली। परन्तु उसे कहीं भी हीरे नहीं मिले।

थक-हार कर वह भी सो गया। सुबह अपनी राह जाते हुए व्यापारी ने चोर को जगाया तथा रात भर उसका साथ देने के लिए धन्यवाद किया। चोर ने व्यापारी को रोककर उससे पूछा, “ श्रीमान, मैं एक चोर हूँ, तथा मैं आपके हीरे चुराना चाहता था। पूरी रात मैं आपके सामान की तलाशी लेता रहा परन्तु मुझे वह हीरे आपके सामान में नहीं मिले। क्या आप मुझे इस का कारण बता सकते हैं?” व्यापारी हँसते हुए बोला, “मुझे मालूम था कि तुम चोर हो। इसलिए हीरे मैंने अपने सामान में रखने की बजाय तुम्हारे सामान में छुपा दिए थे।

क्योंकि हम अपना सामान कभी भी नहीं देखते।” यह सुनकर चोर व्यापारी की बुद्धिमानी का लोहा मान गया। सच ही है कि सकंट में बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।

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