नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली
No so Chuhe khakar Billi Haj ko chali
एक व्यक्ति ने अपने घर के आँगन में एक पक्षीगृह बना रखा था। उस गृह में विभिन्न प्रकार के पक्षियों को रखा गया था। वहाँ पक्षियों की सुरक्षा के भी पूरे इंतजाम किए गए थे। एक दिन पक्षीगृह का मालिक घर पर नहीं था तो एक बिल्ली ने मौके का लाभ उठाकर एक दो पक्षियों को अपना भोजन बनाने की योजना बनाई। वह बिल्ली डाक्टर का रूप धारण कर पक्षीगृह पहुँची और बोली, “दरवाजा खोलो, मैं डाक्टर हूँ। मुझे पक्षीगृह के पक्षियों के स्वास्थ्य का निरीक्षण करना है।” एक बिल्ली को दरवाजे पर दस्तक देते देखकर अन्दर के सभी पक्षी डर गए, परन्तु वे हिम्मत करके बोले, “आप तो बिल्ली हैं और बिल्लियाँ तो हम पक्षियों की कट्टर शत्रु होती हैं। अत: हम दरवाजा नहीं खोलेंगे। आप यहाँ से चली जाओ।” डाक्टर बनी बिल्ली ने पक्षियों को फिर फुसलाते हुए कहा, “मेरा विश्वास करो पहले मैं एक डॉक्टर हूँ और फिर बिल्ली हूँ।
और तो और अब तो मैंने मांस खाना भी छोड़ दिया है।” परन्तु पक्षियों ने फिर भी दरवाजा नहीं खोला। बिल्ली अपना सा मुँह लेकर चली गई। बिल्ली के जाते ही सभी पक्षियों ने राहत की साँस ली और ऊँचे स्वर में बोले, “आ…हा… नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।”