लालच बुरी बला है
Lalach Buri Bala Hai
पुराने समय की बात है कि यूनान में मीदास नाम का एक धनी परन्तु अत्यधिक लोभी राजा राज्य करता था। उसे हमेशा अधिक सोना इकट्ठा करने की धुन सवार रहती थी। एक दिन रात्रि के समय वह तिजोरियों में अपना सोना देख रहा था कि अचानक एक देवदूत वहाँ आया। मीदास ने देवदूत को प्रणाम किया। देवदूत ने उसे वरदान मांगने को कहा। मीदास ने देवदूत से यह वरदान पा लिया कि मैं जिस वस्तु को छूऊँ वह सोना बन जाए। मीदास बहुत खुश हुआ। अगले दिन उसने बारी-बारी से अनेक वस्तुओं को छुआ तथा वे सभी सोने की बन गई। तभी सेवक भोजन लेकर आया। जैसे ही मीदास ने भोजन को छुआ, वह भी सोने का वन गया। तभी उसकी पुत्री वहाँ खेलती हुई आ गई। मीदास के छूने से वह भी सोने की बन गई। मीदास सिर पीट-पीट कर रोने लगा। देवदास को मीदास पर दया आ गई। वह पुनः प्रकट हुआ। मीदास ने उसके चरणों में गिर कर क्षमा मांगी तथा वरदान वापस लेने की प्रार्थना की। देवदूत ने दया करके अपना वरदान वापिस ले लिया और सभी वस्तुएं पहले जैसी हो गईं।