अपनी मदद स्वयं करो
Apni Madad Swayam Karo
एक बार दो चूहे खेलते-खेलते दूध के एक बड़े ड्रम में गिर पड़े। गिरने के साथ ही दोनों दूध में डूबने लगे। वे छटपटाते हुए ड्रम से बाहर निकलने का प्रयास कर रहे थे। परन्तु उन्हें डूम से बाहर निकलने में सफलता नहीं मिल पा रही थी।
ऐसे में दूसरे चूहे ने पहले चूहे को हिम्मत बँधाते हुए कहा, “अब हमारी मृत्यु निश्चित है। हमें कोई नहीं बचा सकता। काश! भगवान हमें बचाने के लिए किसी को भेज दे। मृत्यु तो निश्चित होनी ही है, हमें सारी बातों को भूल अपना प्रयास जारी रखना चाहिए। हिम्मत मत हारो, प्रयास करते रहो। शायद हम बच जाएँ।” परन्तु पहला चूहा अपनी हार मान चुका था। उसने अपने हाथ पैर चलाने बंद कर दिए तथा कुछ ही देर में पहला चूहा दूध में डूब कर मर गया।
उधर दूसरे चूहे ने फिर भी अपनी हिम्मत नहीं हारी। वह बचने के लिए लगातार अपने हाथ पैर चलाता रहा। उसके हाथ पैर चलाने के कारण ड्रम की सारी मलाई एक तरफ इकट्ठा हो गई थी। मलाई की परत थोड़ी मोटी थी। चूहे ने प्रयास किया तथा मलाई की परत पर चढ़कर ड्रम से बाहर कूद गया। दूसरे चूहे के लगातार प्रयास ने उसे नया जीवन प्रदान किया। अत: हमें कभी भी किसी पर आश्रित नहीं रहना चाहिए। भगवान उनकी मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करते हैं।