मित्र को स्वदेशी वस्तुओं की महत्ता पर पत्र
परीक्षा भवन,
दिनांक…….. प्रिय रवि,
सप्रेम नमस्ते !
तुम्हारा अभी-अभी पत्र मिला । यह पढ़ कर अति प्रसन्नता हुई, कि तुम पन्द्रह वर्ष अमेरिका में रह कर स्वदेश लौट रहे हो और भविष्य । में यहीं पर रहने का विचार बना लिया है। साथ ही तुमने मेरी पसन्द की कोई विदेशी वस्तु लाने के विषय में पूछा है। | बंधु ! तुम तो जानते ही हो कि मैं सच्चा भारतीय हूँ। विदेश जाने का अवसर मिलने पर भी मैंने देश सेवा ही उचित माना और यहीं। पर कार्यरत हूँ। स्वदेशी वस्तुओं को ही प्राथमिकता देता हूँ। स्वतंत्र भारत में सभी वस्तुएँ उत्तम श्रेणी की बनने लगी हैं। दूसरे ये विदेशी वस्तुओं से सस्ती और टिकाऊदार हैं।
स्थिति सुदृढ़ होती है। फिर भी मैं तुम्हारा धन्यवाद करता हूँ कि तुमने विदेश में रहकर मुझे याद रखा। भारत में आगमन का कार्यक्रम लिख भेजना ताकि मैं तुम्हारे स्वागत के लिए एयर पोर्ट पर पहुँच सकें।
तुम्हारा अभिन्न हृदय,
राजीव