अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखो कि वह किताबी कीड़ा न बनकर खेलों में भाग लिया करे।
110 राम नगर,
पटियाला।
10 मई, 2011
प्रिय सुरेश
चिरंजीव रहो!
मुझे कल ही पिता जी का पत्र प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि आप खेलों की और बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे। अपितु हमेशा किताबों में खोये रहते हैं। मुझे मालूम हुआ है कि आप पहले से ज्यादा किताबी कीड़ा बन गए हो। इसी कारण आपका स्वस्थ बिगड़ गया है। मेरी यह कामना है कि तुम पढ़ लिखकर विद्वान बनो पर सेहत को खोकर ऐसा न करो। तुम शारीरक रूप से भी स्वस्थ रहो। सेहत उत्तम धन हैं। एक अंग्रेज़ी कहावत है कि Health is Wealth. सेहत खोकर पढ़ाई करना ठीक नहीं।
खेलों का विद्यार्थी जीवन में बड़ा महत्त्व है। खेलों से शरीर हस्ट-पुष्ट होता है। खेलने-कूदने से शरीर के सारे अंगों की कसरत हो जाती है। शरीर स्वस्थ एवं मजबूत बनता है। खेलों द्वारा शरीर से चुस्ती, स्फूर्ति तथा शक्ति आती है। पसीना निकलने से शरीर स्वच्छ हो जाता है। अत: मेरा आपसे अनुरोध है कि तुम खेलों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया करो।
तुम्हारा बड़ा भाई,
सतीश कुमार।
Choti likho nahi learn hoti