गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय पर्व
Republic Day National Festival
“आओ इस गणतंत्र दिवस को, मिलकर सभी मनाएँ
जय हो जय छब्बीस जनवरी, हिल मिल कर यह गाएँ।
ऐसा पुण्य का दिन है प्यारा लगता राष्ट्र हमारा
इसके ऊपर हमने अपना तन-मन-धन सब वारा।”
भूमिका-प्रत्येक देश के अपने राष्ट्रीय पर्व होते हैं, जिन्हें उस देश के सभी निवासी अत्यंत गर्व से मनाते हैं। भारत के राष्ट्रीय पर्यों में 26 जनवरी का पर्व सर्वप्रमुख है। इसी दिन सन् 1950 में भारत को पूर्ण प्रभुता-सम्पन्न गणराज्य घोषित किया गया था।
स्वतंत्रता प्राप्ति-26 जनवरी, 1930 को रावी नदी के तट पर नेहरू जी की अध्यक्षता में पूर्ण की बलिवेदी पर चढ़ती रही। अन्ततः शहीदों का खून रंग लाया और 15 अगस्त, 1947 को भारत माता की परतंत्रता की बेड़ियाँ कट गईं। देश स्वतंत्र हुआ, पर स्वाधीन भारत का अपना संविधान न होने के कारण राज-काज नहीं चल सकता था।
भारत का संविधान-लौह पुरुष सरदार पटेल की योग्यता और साहस ने भारत की छह सौ रियासतों को मिलाकर तिरंगे झंडे के नीचे ला दिया। संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई तथा 26 जनवरी को रावी-तट पर किए गए ऐतिहासिक निर्णय की याद में 26 जनवरी 1950 को अखंड भारत का संविधान लागू कर दिया गया और भारत संपूर्ण प्रभुता सम्पन्न गणराज्य घोषित किया गया। राष्ट्रपति को देश का सर्वोच्च शासक माना गया। तभी से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राजधानी का गणतंत्र दिवस-दिल्ली का गणतंत्र दिवस बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। विजय चौक तथा राजपथ से विशाल जुलूस निकाला जाता है। सभी राज्यों की झाँकियाँ निकाली जाती हैं। विभिन्न राज्यों के लोग अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाने के लिये जुलूस में भाग लेते हैं। सेना के जवान शान से परेड करते हुए राष्ट्रपति को सलामी देते हैं। आठ घोडों की बग्घी पर राष्ट्रपति की सवारी निकलती है। राष्ट्रपति तीनों सेनाओं की टुकड़ियों की सलामी लेते हैं। सेना तथा पुलिस के बैण्ड जनता का मन मोह लेते हैं।
समदधि का प्रदर्शन-स्कूलों के बच्चे अपनी रंग-बिरंगी पोशाकों में कौशल दिखाते हुए जलूस में भाग लेते हैं। विभिन्न हथियारों, टैंकों तथा प्रक्षेपास्त्रों का प्रदर्शन किया जाता है। राज्यों की प्रगति झांकियों के रूप में दिखाई जाती हैं। जिससे भारत की उन्नति तथा समृद्धि का पता चलता है।
विभिन्न कार्यक्रम-इस दिन प्रत्येक राज्य की राजधानी में भी गणतंत्र दिवस बड़ी धूम-धाम हैं। सरकारी भवनों पर रोशनी की जाती है। जगह-जगह राष्ट्रीय झंडे फहराए जाते हैं।
हमारा कर्तव्य-भारतीय गणतंत्र की वर्षगाँठ मनाने के साथ हमारा कर्तव्य है कि हम प्रण करें कि भारत की स्वतंत्रता तथा संविधान की मर्यादा की रक्षा करने के लिये जीवन बलिदान कर देंगे, परंतु इस पर आँच नहीं आने देंगे। देश की समृद्धि के लिये हम तन-मन-धन से जुट जाएँगे।
उपसंहार-राष्ट्रीय पर्व का संबंध राष्ट्र, राष्ट्र में रहने वाले जन-जीवन के हृदय एवं आत्मा से होता है अतः जब तक हृदय और आत्मा पवित्र नहीं है, हम अपने देश की उन्नति के लिये जागृत नहीं है तो राष्ट्रीय पर्व मनाने का कोई लाभ नहीं है। मन और आत्मा से हम अपने मतभेद भुला कर गणतंत्र को स्थिर रख सकते हैं।