पहिए की खोज
Pahiye Ki Khoj
चलना मनुष्य का स्वभाव है। पानी भी चलता है, हवा भी चलती है, समय भी चलता है और मनुष्य भी चलता है। प्राचीन समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचने के लिए मनुष्य मीलों पैदल यात्रा करता था। कई बार यात्रा इतनी लम्बी हो जाती थी कि वर्षों लग जाते थे, मार्ग में यात्री बीमार होकर मर भी जाते थे, फिर पालकियों का प्रयोग किया जाने लगा। इन्हें चार लोग उठाते थे, मगर रास्ते में चलते-चलते थके लोगों की जगह लेने के लिए आठ या बारह लोग साथ में चलते थे। पालकियों का प्रयोग स्त्रियों के लिए किया जाता था। पहिए के आविष्कार ने मनुष्य का जीवन ही बदल दिया। इसके आविष्कार से सर्वप्रथम बैलगाड़ी द्वारा यात्रा सुगम व सस्ती होने लगी। धीरे-धीरे इसी पहिए से मशीन से चलने वाली गाड़ियाँ सड़कों पर दौड़ने लगीं।