मंच पर मेरा पहला अनुभव
Manch par mera pahla Anubhav
हमारी पाठशाला में हिंदी कविता प्रतियोगिता थी। माँ ने मुझे उडती चिड़िया की कविता सिखाई और साथ ही मेरे लिए दो सुंदर चिड़ियाँ भी। बनाईं। हर कक्षा से दो-दो बच्चों ने कविता सुनानी थी।
प्रतियोगिता शुरू होने से पहले मंच के पीछे हमें एक पंक्ति में बिठा छह दिया गया। आरंभ होते ही सभी बच्चे, बारी-बारी जोश से कविताएँ सुनाने लगे। मुझे बहुत डर लग रहा था।
मेरी बारी आते ही मेरी अध्यापिका मेरे कान में बोलीं कि मैं कर सकता हूँ। इसी विश्वास के साथ मैंने ऊँचे स्वर में कविता सुनाई और पहला इनाम पाया।
मेरी माँ और अध्यापिका मुझपर बहुत प्रसन्न थीं। मैं अब और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए बहुत उत्सुक हूँ।