जब मेरी जेब कट गयी
Jab meri Jeb kat Gai
यह घटना पिछले साल की है। परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मैं अपने ननिहाल जाने के लिए बस स्टैंड पर पहुँचा। बस अड्डे पर उस दिन काफ़ी भीड़ थी। स्कूलों में छुट्टियां हो जाने पर बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को लेकर कहीं न कहीं छुट्टियाँ बिताने जा रहे थे। मेरे गाँव को जाने वाली बस में काफ़ी भीड़ थी। मैं जब बस में सवार हुआ तो बस में बैठने की कोई जगह खाली न थी। मैं भी अपने सामान का बैग कंधे पर लटकाए। खड़ा हो गया। कुछ ही देर में बस खचाखच भर चुकी थी। परंतु बस वाले अभी बस चलाने को तैयार नहीं थे। वे और सवारियों को चढ़ा रहे थे। जब बस के अंदर तिल धरने को भी जगह न रही तो कंडक्टर ने सवारियों को बस की छत पर चढ़ाना शुरू कर दिया। गर्मियाँ अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हुई थीं किन्तु हम बस के अंदर खड़े-खड़े पसीने से लथपथ हो रहे थे। मेरे पीछे एक सुंदर लड़की खड़ी थी। बस चलने से कुछ देर पहले वह लड़की यह कह कर बस से उतर गई कि यहां तो खड़ा भी नहीं हुआ जाता। मैं अगली बस से चली जाऊँगी। बड़ी मुश्किल से बस ने चलने का नाम लिया। बस चलने के बाद कंडक्टर ने टिकटें बाँटना शुरू किया। थोड़ी देर में ही पीछे खड़े यात्रियों में से दो यात्रियों ने शोर मचाया कि उनकी किसी ने जेब काट ली है। कंडक्टर ने उन को बस रोक कर बस से उतार दिया। कंडक्टर जब मेरे पास आया तो मैंने पैंट की पिछली जेब से जैसे ही बटुआ निकालने के लिए हाथ बढ़ाया। मैंने अनुभव किया कि मेरी जेब में बटुआ नहीं है। मैंने कंडक्टर को बताया कि मेरी जेब भी किसी ने काट ली है। सौभाग्य से मेरी दूसरी जेब में इतने पैसे थे कि मैं टिकट के पैसे दे सकता।। कंडक्टर ने मुझे टिकट देते हुए कहा काका तुम फैशन के मारे बटुए पैंट की पिछली जेब में रखोगे तो जेब कटेगी ही। मैं थोड़ा शर्मिंदा अनुभव कर रहा था। दूसरे यात्री हँस रहे। थे कि मैं बस से उतारे जाने से बच गया। मुझे यह समझते देर न लगी कि जो फैशनेबल सी लडकी मेरे पीछे खड़ी थी उसी ने मेरी जेब साफ की है। मेरी ही नहीं बल्कि दसरे यात्रियों की जेबों की वही सफाई कर गई है। मैं सोचने लगा कि बस अड्डे पर तो सरकार ने लिखा है कि जेब कतरों से सावधान रहें बसों में भी ऐसे बोर्ड लगवा देने चाहिएं या फिर बस चालक गिनती से अधिक सवारियाँ बस में न चढ़ाएं। इतनी भीड़ में तो किसी की भी जेब कट सकती है।