जब अध्यापिका नहीं आई
Jab Adhiyapika nahi Aai
विद्यालय में हमारी दिनचर्या निर्धारित होती है। इसमें फेरबदल मुश्किल से ही हो पाता है। कल हमारी अंग्रेजी की अध्यापिका किसी कारण नहीं आईं। सात में से तीन कक्षाएँ अंग्रेजी की होने से हमें काफ़ी समय फुरसत का मिला।
हमारे विद्यालय में किसी अध्यापिका की अनुपस्थिति में अन्य किसी अध्यापिका को अनुशासन व्यवस्था देखने के लिए भेजा जाता है। श्रीमती मिलि, हमारी संगीत अध्यापिका को इसीलिए हमारे पास भेजा गया। संगीत से भरे वे पल हमारी प्रिय स्मृतियों में सदा के लिए जुड़ गए।
श्रीमती मिलि ने पहले तो दरवाजे-खिड़कियाँ बंद करवा दिए जिससे आस-पास की कक्षाएँ प्रभावित न हों। फिर हमने दो टीम बनाकर कविताओं की अंत्याक्षरी खेली। मेरी टीम विजयी रही।
फिर उन्होंने हमें एक नया खेल सिखाया। वे किसी छात्र को एक शब्द देतीं और उसे उस शब्द के ऊपर कविता में दो पंक्ति कहनी होती थीं। पहले तो कोई भी नहीं कर पाया परंतु तुरंत ही सभी कवि हो गए। अर्चना ने सबसे अधिक अंक पाए।
सुरों और लय से स्नान कर हमारा दिन बहुत आनंदमय बीता।