बगीचे की आत्मकथा
Garden ki Atmakatha
में ताजी हवा, फूलों, भंवरों और तितलियों की क्रीड़ास्थली हूँ। मैं मोहन नगर का एक बगीचा हूँ। नरम घास और रॉक गार्डन से होते हुए आप मेरे अंदर प्रवेश पाते हैं। मोहन नगर वैलफेयर कमेटी का बड़ा बोर्ड आपका स्वागत करता है।
मैं हूँ तो कई वर्ष पुराना परंतु मेरा पुनःनिर्माण और देखरेख का कार्य इस कमेटी ने दो वर्ष पूर्व ही लिया है। उन्होंने मेरे सभी वृक्षों को सुंदर ढंग से अपने नक्शे में समेटा है। नई घास और पुष्पपूर्ण क्यारियों, फव्वारों और उचित रोशनी से मुझे शोभित कर उन्होंने मेरी काया पलट कर दी।
अब मैं बच्चे बड़ों सभी का दिल खोल कर स्वागत कर सकता हूँ। बड़ों के प्रात: और सायं भ्रमण के लिए तीन मीटर चौड़ा ट्रैक बनाया गया है। इसका एक चक्कर एक किलोमीटर की सैर करवाता है। ट्रैक के बीच बड़े उद्यान व्यायाम की सर्वोत्तम जगह हैं। इन्हीं में से दो उद्यान बच्चों के झूलों से पूर्ण हैं। इनमें नन्हें बच्चो की प्रतिदिन की उधम मुझे बहुत लुभाती है।
चार माली और चार सहायकों की सेना मेरे शरीर से पत्ते, मुरझाए पौधे और कीड़ों को हटाने में जुटे रहते हैं। कमेटी के अध्यक्ष स्वयं दो बार निरीक्षण के लिए आते हैं।
किसी नवजात शिशु जैसे मेरा ध्यान रखा जाता है और मैं भी प्रकृति के मोहक रंगों को फलते-फूलते हुए देखता हूँ।



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