चन्द्रशेखर वेंकट रमन
C.V Raman
भारत में प्राचीन काल से ही एक से एक वैज्ञानिक होते रहे हैं। प्राचीन काल में ऋषियों-महर्षियों के ज्ञान-विज्ञान ने न केवल हमारे देश को ही प्रभावित किया है, अपितु इससे सारा संसार प्रभावित हुआ है। कणादि ऋषि, च्यवन ऋषि, चरक ऋषि आदि के नाम उसी क्रम में हैं। महर्षि वाल्मीकि ने तो अपने विज्ञान के चमत्कार से कुश का ही बालक बना दिया और वह बालक ऐसा अद्भुत और तेजस्वी निकला कि उसका सामना करना लोहे के चने चबाने के समान दुष्कर और असम्भव सिद्ध हुआ। हमारे प्राचीन ऋषिगण तो अपनी वैज्ञानिक दृष्टि से तीनों कालों का पूरा ज्ञान रखते थे।
इन्हीं ऋषि संतानों से बँधे हुए हम भारतीयों में महान वैज्ञानिक चन्द्रशेखर – बैंकट रमण का नाम विश्व-विख्यात है। चन्द्रशेखर वेंकट रमण ने अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा और उपलब्धियों से पूरे विश्व को चकित करके अपना नाम अमर कर दिया ।
श्री चन्द्रशेखर वेंकट रमण का जन्म 8 नवम्बर, 1888 को एक साहित्यानुरागी परिवार में हुआ था। आपके पिताश्री एक कुशल प्राध्यापक थे। वह मुख्य रूप से गणित, भौतिकी, खगोल और विज्ञान के महान और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। इस प्रकार से श्री चन्द्रशेखर को विज्ञान का ज्ञान विशेष और अभिरुचि विरासत में मिली थी। पिता की योग्यता का प्रभाव चन्द्रशेखर पर क्रमशः पड़ता गया। यही कारण है कि चन्द्रशेखर ने 12 वर्ष की अल्पायु में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। तदन्तर बी।एस।सी। की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने के बाद एम।एस।सी। की भी परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर ली। इसके बाद श्री रमण ने भारतीय-वित्त प्रतियोगिता में प्रवेश लिया। अपनी असाधारण प्रतिभा और कुशाग्र बुद्धि के कारण श्री रमण ने इस प्रतियोगिता में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर लिया। प्रतियोगिता में चुन लिए जाने पर आपको वित्त-विभाग में उप-महालेखाकार के पद पर नियुक्त किया गया। ऐसा होते हुए भी चन्द्रशेखर की विज्ञान के प्रति अभिरुचि घटी नहीं अपितु दिनों-दिन बढ़ती ही गई।
विज्ञान के प्रति अपनी विशेष रुचि और लगन के परिणामस्वरूप ही श्री रमण को कलकत्ता विश्वविद्यालय में विज्ञान कालेज की स्थापना के बाद विज्ञान के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया। श्री रमण ने इस पद को गौरवान्वित किया। आपने इस पद पर रह कर अनेक उल्लेखनीय कार्य किये, जो विज्ञान के क्षेत्र में उपेक्षित थे। इसी सन्दर्भ में आपने ध्वनि और प्रकाश से सम्बन्धित विविध प्रकार के अनुसंधान कार्य किए। श्री रमण ने प्रकाश से सम्बन्धित अन्य रहस्यों को सामने प्रस्तुत किया। आपको खोजपरक मस्तिष्क निरन्तर अपने क्षेत्र में अग्रसर रहा। श्री रमण ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों को प्राप्त करने के लिए उन रहस्यों के विषय में ही खोज करने का प्रयास किया, जो रहस्यमय बने हुए थे।
श्री चन्द्रशेखर रमण ने ध्वनि और प्रकाश के सम्बन्ध में यह अनुसंधान किया कि आकाश का रंग नीला ही क्यों दिखाई देता है। इसी तरह तैरते हुए समुद्री हिमखण्ड भी नीले क्यों दिखाई देते हैं। श्री रमण ने प्रकृति के इस प्रकार के रहस्यों का उद्घाटन किया है। प्रकाश की गति संहित प्रकाश के स्वरूप पर भी श्री रमण ने अनुसंधान किया। ध्वनि सम्बन्धित आविष्कार के क्षेत्र में भी श्री रमण का योगदान उल्लेखनीय रहा है।
श्री रामण ने धातुओं में पाए जाने वाले एक विद्युतीय और वैद्युतिक तरल | पदार्थ के विषय में भी रहस्योद्घाटन किया है। ठोस धातुओं से प्रकाश का किरणों के प्रवेश पर श्री रमण ने गहरा अनुसंधान किया है।
श्री रमण के उल्लेखनीय अनुसंधान कार्य प्रगति का मूल्यांकन करते हुए इन्हें सर्वोत्तम सम्मानित पुरस्कार (नोबल पुरस्कार से विभूषित किया। न केवल हमारे देश में ही श्री रमण को विविध प्रकार से सम्मानित किया गया, अपितु विदेशों में भी स्थान-स्थान पर श्री रमण के प्रति सम्मान भाव दिखाए गए। इस विषय में इंग्लैण्ड की उच्चस्तरीय शिक्षा संस्थान ‘रायल सोसायटी’ ने श्री रमण को अपना फैलो बना। लिया था। इसी वर्ष अंग्रेज सरकार ने श्री रमण को ‘नाइट’ की उपाधि सौंपकर अपना सम्मान भाव प्रदार्शत किया था। फिर बाद में भारत सरकार ने इन्हें पद्मविभूषण पद से अलंकृत किया। श्री रमण की वैज्ञानिक उपलब्धियों का सारा संसार चिरकाल तक ऋणी रहेगा।