Hindi Biography of “Abhinav Bindra”, “अभिनव बिन्द्रा” Birth, Achievements, Records, Career Info, Age, Complete Essay,Paragraph in Hindi.

अभिनव बिन्द्रा

Abhinav Bindra

 

जन्म : 28 दिसम्बर, 1982

जन्मस्थान : देहरादून (उत्तरांचल)

वह ‘अर्जुन पुरस्कार’ और ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार पाने वाले सबसे कम आयु के खिलाड़ी हैं। अभिनव बिन्द्रा ने 11 अगस्त, 2008 को बीजिंग में आयोजित 29वें ओलिंपिक खेलों में 10 मीटर एयर राइफल निशानेबाज़ी प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास रच डाला। ओलिंपिक में वैयक्तिक स्पर्धा में गोल्ड मैडल जीतनेवाले वे भारत के पहले निशानेबाज़ बन गए। भारत को 28 साल बाद ओलिंपिक में गोल्ड मैडल मिला। 2004 के एथेंस ओलम्पिक में अभिनव बिन्द्रा ने सातवां स्थान प्राप्त किया था।

अभिनव, जिन्हें घर वाले प्यार से अभि कहते हैं, 1996 में अपने परिवार के साथ अटलांटा ओलंपिक देखने गए थे। तब उन्होंने पहली बार शूटिंग रेंज देखी और उन्हें उसके प्रति आकर्षण महसूस हुआ। उनके परिवार ने उन्हें इस खेल के प्रति आगे बढ़ने के लिए पूरा सहयोग दिया। उन्होंने अच्छी तरह सोच समझ कर एयर राइफल प्रतियोगिता को चुना और उसमें भाग लेने लगे। इस प्रकार वह 15 वर्ष की आयु में निशानेबाजी प्रतियोगिता में भाग लेने लगे।

अभिनव बिन्द्रा पहली बार उस समय दुनिया के खेल परिदृश्य पर चर्चा में आए थे जब 2001 में म्यूनिख विश्व कप में उन्होंने 700.5 अंक लेकर 10 मी. राइफल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था।

अभिनव ने 60 शॉट लगाने के लिए निर्धारित एक घंटा 45 मिनटों की जगह मात्र 44 मिनट में ही सभी शॉट लगाकर सबको अचरज में डाल दिया था। इस प्रतियोगिता में उनका मुकाबला 67 देशों के 105 धुरंधर खिलाड़ियों के साथ था।

उन्होंने अन्तिम आठ खिलाड़ियों में जगह बनाई। यद्यपि वह तब सातवें स्थान पर थे परन्तु फाइनल में उन्होंने अविश्वसनीय रूप से 103.9 अंक बनाकर तीसरा स्थान बनाया। इसी जीत के कारण वह ओलंपिक में पुरुष वर्ग की एकल प्रतियोगिता में भाग लेने योग्य प्रथम भारतीय खिलाड़ी बने।

वह निशानेबाजी के खेल की ओर इस कारण भी आकर्षित हए क्योंकि उनके कोच ने शूटिंग खेलों में प्रसिद्धि पाने की सुन्दर तस्वीर उन के मन-मस्तिष्क में बिठा दी, जिससे उनके मन में ऐसी अमिट तस्वीर बनी कि उन्होंने इन खेलों का खिलाड़ी बनने का ही सपना देखा।

उन्होंने अपनी ट्रेनिंग के बारे में बताया- “में लगभग 9 घंटे रोज़ अभ्यास करता हैं। जिसमें से 7 घंटे नियमित रूप से शूटिंग का अभ्यास करता हूं और दो घंटे खिंचाव वाले तथा जॉगिंग जैसे व्यायाम करता हूँ। यह सब करने के बाद मैं पूरी तरह थक चुका होता हैं, परन्तु यह सब करना बहुत महत्त्वपूर्ण है। एक शूटर की योग्यता उसकी ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता पर निर्भर करती है।”

अभिनव ने बहुत कम उम्र में प्रसिद्धि पाई है और बहुत कम उम्र में बड़े-बड़े पुरस्कार जीते हैं। उनके पिता ने उनके लिए निशानेबाजी के सभी उपकरण जुटा रखे हैं ताकि वह घर पर ही पूर्ण अभ्यास कर सकें। उन्होंने बताया-“मेरे पास एयर कन्डीशंड रेंज है जो पूर्णतया अन्तरराष्ट्रीय मानदण्डों के अनुसार कम्प्यूटर आधारित ‘टार्गेट ट्रांसपोर्ट सिस्टम’ पर आधारित है। मेरे पास सात बन्दूकें, गोलियाँ, जैकेट व अन्य शूटिंग का सामान है। अतः सुविधा व सामान के हिसाब से मैं बहुत संतुष्ट हूँ।’ अभिनव के जीवन पर उनके माता पिता का सर्वाधिक प्रभाव है। उनके राष्ट्रीय कोच गैबी ब्यूलमान और सन्नी थामस हैं।

अभिनव ने राइफल 3 पोजीशन मुकाबले में आई.एस.एस.एफ. वर्ल्ड कप, फोर्ट बेनिंग यू.एस. प्रतियोगिता में 1161 का स्कोर बना कर भारतीय सेना के सूबेदार सुभाया के 6 वर्ष पुराने 1999 के रिकार्ड की बराबरी कर ली। अभिनव ने राइफल मुकाबले में 2 माह पूर्व ही भाग लेना शुरू किया था और यह उनकी इस वर्ग की विश्व स्तर की पहली प्रतियोगिता थी। इस मुकाम में अभिनव के कोच स्टेनीस्लैव लैपीडस (कज़ाकिस्तान) थे जो पहले भारतीय सेना के कोच थे। लैपीडस ने कहा-“मैंने अपने 25 वर्षों के कोचिंग अनुभव में बिन्द्रा जैसा शूटर नहीं देखा है जिसने दो महीने के अभ्यास में इतना अच्छा प्रदर्शन किया हो।

उपलब्धियां :

अभिनव बिन्द्रा ने 11 अगस्त, 2008 को बीजिंग ओलांपिक में 10मीटर एयर राइफल निशानेबाजी प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीतकरइतिहास रच डाला।

अभिनव लगातार चार स्वर्णपदक जीतने वाले विश्व के पहले शुटरचैंपियनशिप में ये पदक जीते।

उसके बाद भी उस प्रतियोगिता में वह पदक जीतते गए और कुल मिलाकर लगातार 6 स्वर्ण, 3 रजतव 2 कांस्य पदक जीत लिए।

वर्ष 2000 में इन्टरनेशनल स्पोर्ट्स शूटिंग फेडरेशन (आई.एस.एस.एफ.)ने उन्हें ‘डिप्लोमा ऑफ ऑनर’ प्रदान किया। में 2002 के राष्ट्रसंघ खेलों में मानचेस्टर में अभिनव ने छह राउंड में1184 अंक बना कर राष्ट्रसंघ खेल रिकार्ड कायम कर दिया। जुलाई 2002 से उन्हें “ओलम्पिक सालिडेरिटी प्रोग्राम’ के अन्तर्गत स्कालरशिप दी जाती है। वर्ष 2009 में उनको वर्ष 2001 की उपलब्धियों के लिए राजीव गांधी खेल रत्न’ से सम्मानित किया गया। 29 अगस्त 2002 को उन्हें यह सर्वोच्च पुरस्कार राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा प्रदान किया गया। अभिनव बिन्द्रा को खेलों में देश के सबसे बड़े सम्मान ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ के लिए वर्ष 2001 की म्यूनिख उपलब्धियोंके कारण चुना गया।

मार्च 2006 में मेलबर्न में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में बिन्द्रा ने पुनःसफलता प्राप्त की। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल पेयर्स स्पर्धा में पिछले मानचेस्टर खेलों का रिकार्ड पांच अंकों के बड़े अंतर से तोड़ दिया। 1189 अंक बना कर उन्होंने स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता। इसके अतिरिक्त इन्हीं खेलों में 50 मीटर राइफल थ्रो पोजीशन में अभिनवविन्द्रा ने रजत पदक प्राप्त किया।

जुलाई 2006 में विश्व निशानेबाजी चैंपियनशिप में (क्रोएशिया के शहरजागरेब) में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया। बिन्द्रा देश के पहले निशानेबाज़ हैं जिन्होंने विश्वचपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। यह पदक जीतने पर पंजाब सरकार ने अभिनव बिन्द्रा को 21 लाख रुपये का पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की। अभिनव बिन्द्रा का मानना है कि निशानेबाजी को देश में नंबर एक खेल का दर्जा मिलना चाहिए क्योंकि इसी खेल से भारत में सबसे ज्यादा पदक आते हैं। बिन्द्रा का कहना है कि भारतीय निशानेबाजों ने जो सफलता अर्जित की है, उसकी बराबरी कोई खेल नहीं कर सकता। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हमारे देश का ऐसा ही प्रदर्शन चलता रहे।

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