ईस्टर (Easter)
ईसाई मिशनरीज द्वारा चलाए जाने वाले शिक्षा संस्थानों में ईस्टर का त्योहार भी धूम-धाम से मनाया जाता है। यह बसंत ऋतु में ही आता है। के तीन दिन बाद ईसा मसीह उठकर बैठ गए ऐसी मान्यता है कि मृत्यु थे। तीन दिनों तक ईसा का शरीर मृत व्यक्ति के समान निश्चेष्ट पड़ा रहा था। उनको इस तरह जीवित पाकर लोगों में खुशी की लहर दौड़ना स्वाभाविक था। बस उसी खुशी की घड़ी का त्योहार है ईस्टर ।
ईस्टर किसी एक निर्धारित दिन या तिथि को नहीं पड़ता। 21 मार्च के बाद जब पहली बार पूरा चाँद पड़ता है और उसके बाद जो पहला रविवार आता है उस दिन ईस्टर का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को काफी पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन को ‘पाम संडे’ भी कहते हैं। ईसा मसीह ने रविवार के दिन ही इजराइल की राजधानी में प्रवेश किया था। तब लोग ‘ताड़ वृक्ष’ (पाम) की शाखाएँ लेकर उनके दर्शनों को टूट पड़े थे। इस पावन दिन की परम्परा का निर्वाह आज भी किया जाता है। पादरी जन ‘पाम संडे’ के दिन पाम वृक्ष की शाखाएँ ईसा मसीह के भक्तों में वितरित करते हैं। इन्हें लेकर जुलूस भी निकाले जाते हैं। इन पाम शाखाओं को जलाया जाता है और इसकी राख को अगले वर्ष तक के लिए सुरक्षित रखा जाता है।
यह दिन ईसाई समाज के लिए पावन और खुशियों का दिन होता है। ईसा के उपदेशों के अनुसार चलते हुए मानव-सेवा का संकल्प लेने का दिन होता है।
गुड फ्राइडे (Good Friday)
इस ‘पाम संडे’ के बाद आने वाले शुक्रवार को ‘गुड फ्राइडे’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व यह है कि ईसा मसीह को फ्राइडे के दिन ही फाँसी पर चढ़ाया गया था। यह दिन खुशी का नहीं रंज और गम का दिन होता है। पर ईसा के अनुयायी इस दिन गिरिजाघरों में प्रार्थनाएँ करते हैं। उस महान आत्मा का स्मरण करते हैं। प्रार्थना करते हैं कि प्रभु हमें राह दिखाना, हमें शक्ति देना कि हम आपके बताए मार्ग पर चल सकें।
कैसे मनाएँ ईस्टर (How to celebrate Easter)
- यह ईसाई मत के लोगों का त्योहार है। ईसाई लोग इसे बड़ी श्रद्धा के साथ अपने परंपरागत तरीके से मनाते हैं।
- ईसा के उपदेशों से बच्चों को अवगत कराना चाहिए।
- बच्चों को ईसा के जीवन की घटनाओं से परिचित कराएँ ताकि बच्चे मानव-सेवा के महत्व को समझ सकें।