भविष्य योजनाओ से अवगत करते हुए मित्र को पत्र
379, जैन कालोनी, इंदौर
दिनांक 2-03-2008
प्रिय मित्र आकाश,
नमस्कार।
मैं आपको यह पत्र इसलिये लिख रहा हूँ क्योंकि मेरे मन में अपने भविष्य को लेकर कुछ विचार उत्पन्न हुए हैं। मैं चाहता हूँ कि पढ़ने-लिखने के बाद मैं गाँव के विकास के लिए अपना योगदान करूं। गाँव ही हमारे देश की आत्मा हैं। गाँव में सहभागिता के आधार पर आत्म-निर्भरता के लिए ऐसे काम होना चाहिये, जिससे गाँव के व्यक्ति को गाँव में ही आजीविका के साधन मिल सकें। इस बारे में तुम्हारी क्या राय है, मुझे लिखना।
तुम्हारा मित्र
शशांक