किसी राष्ट्रीय दैनिक समाचारपत्र को लगभग 200 शब्दों में एक पत्र लिखिए जिसमें अपने नगर के और इसके चारों ओर के बहुमूल्य ऐतिहासिक स्मारकों की उपेक्षा के बारे में वर्णन हो और इसकी सुरक्षा के तरीके और साधन सुझाइए।
सम्पादक,
‘हिन्दुस्तान’,
नई दिल्ली।
महोदय,
मैं पिछले तीस वर्षों से आगरा में रह रहा हूँ और मुझे अमर ताजमहल, इत्मद-उद्-दौला का मकबरा, अकबर का किला और सिकंदरा जैसे बहुमूल्य ऐतिहासिक स्मारकों पर गर्व है, जो नगर की शोभा बढ़ाते हैं।
हालांकि, मुझे यह देखकर दुःख है कि पिछले लगभग बीस वर्षों से गौरवशाली अतीत वाले ये बहुमूल्य ऐतिहासिक स्मारक उपेक्षा और अनुचित प्रबंध के शिकार हो गए हैं। इसलिए, इनकी मूल सुंदरता तीव्र गति से समाप्त हो रही है और ये दिनों दिन जीर्ण-शीर्ण होते जा रहे हैं। जनसंख्या विस्फोट के कारण नगर का विस्तार हुआ है और इसके बगल में हजारों लघु और मध्यम उद्योग स्थापित किए गए हैं। प्रायः ये ही रचनात्मक क्षति के कारण हैं। मथुरा शोधनशाला के धुँए से ताजमहल की प्राचीन सुंदरता को पहले ही अपूरणीय क्षति हुई है। मुझे भय है कि यदि इन स्मारकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए जाते हैं तो ये शीघ्र ही टीलों के रूप में बदल जाएंगे।
मेरे विचार में दो कठोर कदम उठाने चाहिए जिनमें क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को हटाना चाहिए और इन स्मारकों के प्रबंध के लिए अधिक कोष का प्रावधान किया जाना चाहिए। इसलिए, मैं आपके प्रतिष्ठित दैनिक समाचारपत्र के स्तंभ के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक विरासत के इन बहुमूल्य नमूनों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए अधिकारियों से आग्रह करता हूँ।
भवदीय,
6 जुलाई,
(क)