शक्तिशाली हॉकी टीम को संगठित करने के उपाय सुझाते हुए एक हिन्दी समाचारपत्र को एक पत्र लिखिए।
सम्पादक,
‘हिन्दुस्तान’,
नई दिल्ली।
महोदय,
खेल प्रेमी के रूप में मैं दशकों से अपने देश की हॉकी की दुर्दशा और इसके गिरते स्तर को देखता आ रहा हूँ, इसलिए आपके प्रतिष्ठित दैनिक समाचारपत्र के माध्यम से अपनी अनुभूति को अभिव्यक्त करना चाहता हूँ। हॉकी के जादूगर ध्यान चंद ने इस खेल को उस ऊँचाई पर पहुँचा दिया था कि भारत लगातार छः बार एवं कुल आठ बार हॉकी में ओलंपिक पदक जीतने में सक्षम हुआ जिसकी याद अभी भी ताजा है। विभाजन के बाद भारत की स्थिति अधिक बदतर हो गई। दुर्भाग्य की बात यह है कि दशकों से भारतीय टीम एक-एक करके अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं से हटती जा रही है। हॉकी के इस “हास का कारण ज्ञात करना आसान नहीं है। यह साधारण जानकारी की बात है कि खेलकूद में राजनीतिक हस्तक्षेप इस अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार है।
समय आ गया है कि हम अपनी हॉकी टीम को मजबूती प्रदान करने के लिए उपाय करें। ऐसा करने का एकमात्र उपाय हॉकी को स्वतंत्र करना है और इस बात के लिए अपने सभी खेलों को गंदी राजनीति से अलग करना है। हमें ऐसे तंत्र एवं तरीकों का विकास करना चाहिए जिससे कि अपनी सभी टीमों के लिए पूरे देश के वास्तव में प्रतिभावान एवं योग्य खिलाड़ियों का स्वच्छ एवं निष्पक्ष चयन हो सके। इसके बाद भारतीय हॉकी के वास्तविक गौरव की पुनः स्थापना के लिए सक्षम प्रशिक्षकों के अधीन खिलाड़ियों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। अपने खिलाड़ियों को क्रीड़ा-कौशल, टीम भावना, समर्पण की भावना जैसे गुणों की शिक्षा देने की आवश्यकता है। इन्हें व्यक्तिगत प्रशंसा और संकीर्ण व्यक्तिगत लाभ की तुलना में राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को महत्त्व देने की शिक्षा देनी है। यदि हम ऐसा करने में सक्षम होते हैं तभी हॉकी को इसकी वर्तमान बदतर स्थिति से निकालकर खेल में अग्रणी स्थान पर पहुँचाकर गौरव दिलाने की आशा कर सकते हैं।
मैं खेल प्रेमियों, खेल संगठनों, भारतीय हॉकी संघ और भारत सरकार को इन सुझावों पर ध्यान देने और हॉकी को वर्तमान दयनीय स्थिति से उबारने के लिए कुछ प्रभावी कदम उठाने का आग्रह करता हूँ।
भवदीय,
10 अक्टूबर,………
(क)