माइक्रोवेव ओवन
Microwave Oven
(जल्द खाना तैयार करने के लिए)
सन् 1946 में पर्सी स्पेंसर नामक अंग्रेज) वैज्ञानिक अपने रेडार के सेट पर काम कर रहे थे। अचानक उन्हें भूख महसूस हुई। उन्हें याद आया कि उनकी जेब में एक चॉकलेट बार थी। उसे निकालने के लिए जब उन्होंने जेब में हाथ डाला तो वहां उन्हें चॉकलेट बार के स्थान पर मुलायम चॉकलेट का गोला-सा मिला।)
स्पेंसर को आश्चर्य हुआ। उनका कमरा इतना गरम नहीं था। आखिर चॉकलेट पिघली कैसे? वास्तव में स्पेंसर ब्रिटिश सेना के रेडार सेट पर काम कर रहे थे और पास में ही मैग्नेस्ट्रॉन था। इस मैग्नेस्ट्रॉन से निकलने वाली पावर रेडार को चला रही थी। स्पेंसर को शक हुआ कि माइक्रोवेव से उनकी चॉकलेट बार पिघली होगी।
अपने शक को यकीन में बदलने के लिए स्पेंसर ने मक्का के दाने लाकर मैग्नेट्रॉन के पास रखे। थोड़ी ही देर में दानों से पॉपकॉर्न बनने लगे और चटखने की आवाज आने लगी।
अगले दिन वे एक केतली लाए और उसमें पानी भरकर माइक्रोवेव से गरम करने लगे। उस केतली में उन्होंने कच्चे अंडे, जो थोड़ी ही देर में न सिर्फ उबल गए वरन् एक अंडा फट भी गया। केतली में अंडे की जर्दी छितरा गई और इसका कुछ हिस्सा पास खड़े इंजीनियर के चेहरे पर भी जाकर गिरा। अब स्पेंसर को विश्वास हो गया कि अत्यंत सूक्ष्म तरंगों, अर्थात् माइक्रोवेव में खाना बड़ी आसानी से पकाया जा सकता है।
इसके बाद स्पेंसर ने अध्ययन जारी रखा और अनेक तथ्यों की खोज कर डाली। उसने उद्घाटित किया कि भोजन में मौजूद जल-अणुओं को माइक्रोवेव तेजी से हिलाता है। इस हिलने से ताप-ऊर्जा उत्पन्न होती है। लथा यह ताप पूरे खाद्य पदार्थ में फैलता है। कच्चा अंडा फूट जाता है, क्योंकि उसके अन्दर का पानी भाप बनकर दबाव बनाता है। पर सूखी चीजों पर माइक्रोवेव का कोई असर नहीं होता है। यदि साथ में शीशे का बर्तन, कागज, प्लास्टिक आदि हो तो वह ज्यों-का-त्यों रहता है। दूसरी ओर माइक्रोवेव किरणें धातु से टकराकर स्पार्क उत्पन्न करती हैं। इससे | आग भी लग सकती है।
हालांकि पर्सी स्पेंसर ने स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं की थी, पर उन्हें रेथॉन संस्थान में लगातार प्रयोग करके उन्तालीस साल में 120 पेटेंट हासिल किए। उसने वहां पर माइक्रोवेव चालित खाना पकाने का उपकरण भी बनाया। सन् 1953 में तैयार यह माइक्रोवेव ओवन 340
किलोग्राम वजन का था और इसका आकार रेफ्रिजरेटर के बराबर था। इसका दाम 3,000 डॉलर रखा गया था। इस कारण इसे सिर्फ होटलों, रेस्तरां तथा रेल कैटरिंग वालों ने ही खरीदा।
अगले दो दशकों में इस माइक्रोवेव ओवन में बहुत से सुधार किए। गए। इसके मैग्नेट्रॉन का आकार छोटा किया गया, इसे और सरल बनाया गया तथा उसे ओवन के पीछे लगा दिया। अब पाइप से अन्दर माइक्रोवेव आने लगी और खाद्य पदार्थ तक पहुंचने लगी।
अब टेलीविजन के आकार के ओवन आने लगे हैं और आम गृहिणी की रसोई की शोभा बढ़ाने लगे हैं। इसकी कीमत घटते-घटते 200 डॉलर से भी कम हो गई। अब यह बर्तन धोने की मशीन की तरह आम हो गया है। माइक्रोवेव ओवन मिनटों में खाना तैयार करने के काम आता है।