मेरा गाँव
My Village
भारत को आज भी गाँवों का देश माना जाता है । देश की कुल आबादी साठ प्रतिशत से अधिक हिस्सा गाँवों में निवास करता है । गाँवों में शहरों जैसी सुविधाएँ नहीं हैं, फिर भी गाँवों में रहना एक अच्छी बात मानी जाती हैं । यहाँ वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भीड़-भाड़ जैसी शहरी समस्याएँ नहीं होतीं । मैं भी एक ग्रामवासी हूँ । गाँव में रहना मेरे लिए आनन्ददायक बात है।
मेरे गाँव का नाम माधवपुर है । यह झारखंड के देवघर जिले में स्थित है। यहाँ की आबादी लगभग बारह सौ है । गाँव के अधिकतर लोग खेती-बाड़ी करते हैं । कुछ लोग खेती के साथ-साथ पशुपालन का कार्य करते हैं । गाँव के पढ़े-लिखे लोग शहरों में कार्य करते हैं । शहरों में काम करने के बावजूद उनका जुड़ाव गाँव से बना हुआ है । हमारे गाँव में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कोई काम-धंधा नहीं करते हैं । ये लोग बेरोजगारी की समस्या के शिकार हैं।
मेरे गाँव का वातावरण प्राकृतिक है । गाँव के चारों ओर हरियाली छाई हुई है। कहीं बाग कहीं हरे-भरे मैदान तो कहीं खेत हैं । खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर मन प्रसन्न हो उठता है । मैदानों में गौएँ चरती हैं । यहाँ गाँव के बच्चे खेलने जाते हैं । बागों में आम, जामुन, बरगद, पीपल, अशोक आदि के वक्ष हैं। गाँव के परब में एक शिव मंदिर है। यहाँ गाँव के लोग पूजा-अर्चना करते हैं । मंदिर परिसर में एक फुलवारी है जो यहाँ के वातावरण को सुगंधित बना देती है।
मेरे गाँव में विभिन्न जाति और धर्म के लोग रहते हैं । अधिकतर आबादी हिन्दुओं की है । इनके अतिरिक्त कुछ मुसलमान और कुछ बौद्ध मत को मानने वाले यहाँ निवास करते हैं । हिन्दू समाज जातियों में बँटा हुआ है। परन्तु खुशी की बात यह है कि यहाँ जातिगत और धर्मगत द्वेष नहीं है । सभी लोग मिल-जुलकर रहते हैं। धर्म और जाति के नाम पर लोग आपस में लड़ाई-झगड़ा नहीं करते हैं । सामाजिक समभाव मेरे गाँव की प्रमुख विशेषता है । लोग एक-दसरे का दख-दर्द और खुशी बाँटते हुए जीते हैं।
मेरे गाँव में खेती का कार्य बहुत मनोयोग से किया जाता है । यहाँ चावल, गेहूँ, मक्का, दलहन आदि सभी प्रमुख फसलों का उत्पादन होता है। फसलों के लिए सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है । किसान ट्यूबवेल, नहर. तालाब आदि से अपनी फसलों को सींचते हैं । खेतों में गोबर, पुआल आदि से बने प्राकतिक खाद का भरपर इस्तेमाल करते हैं । रासायनिक उर्वरकों का भी उचित प्रयोग किया जाता है । बहुत से किसानों के पास अपने ट्रैक्टर हैं। ट्रैक्टर से वे खेत जोतते हैं तथा माल की ढुलाई करते हैं । कृषि-कार्य में मशीनों का प्रयोग किया जाता है । वैज्ञानिक कृषि के परिणामस्वरूप किसानों को अच्छी फसल प्राप्त होती है।
मेरे गाँव में शिक्षा और स्वास्थ्य की अच्छी व्यवस्था है । यहाँ एक प्राथमिक विद्यालय तथा एक माध्यमिक विद्यालय है । यहाँ के विद्यालयों में निकटवर्ती गाँवों के विद्यार्थी भी पढ़ने आते हैं । गाँव में एक सरकारी डिस्पेंसरी भी है । डिस्पेंसरी में इलाज की अच्छी सुविधाएँ हैं । इसके
अतिरिक्त गाँव में एक पंचायत भवन भी है । यहाँ ग्राम-पंचायत की बैठकें होती हैं । हमारा गाँव जिला मुख्यालय से पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है । गाँव की अधिकतर गलियाँ पक्की हैं । यहाँ बिजली और टेलीफोन की सुविधा भी है।
इस प्रकार मेरे गाँव में शहरों जैसी कई सुविधाएँ हैं । मेरा गाँव लगातार उन्नति कर रहा है । यहाँ समय-समय पर सामाजिक उत्सवों का आयोजन किया जाता है । गाँव के अधिकतर लोग शिक्षित हैं । लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हैं । मैं अपने गाँव को एक आदर्श गाँव मानता हूँ।