Yuvao me Badhti Nashe ki Pravriti “युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति” Hindi Essay 500 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति

Yuvao me Badhti Nashe ki Pravriti

आदिकाल से यह माना जा रहा है कि नशा सामाजिक बुराई है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में सोम और सुरा शब्दों का प्रयोग मिलता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मादक द्रव्यों से व्यक्ति पहले से परिचित रहा है। वस्तुतः जैसे-जैसे व्यक्ति अपना बहुविध विकास करता गया वैसे-वैसे नशे के भी विभिन्न तरीकों की खोज करता गया। आज तो हालत यह है कि युवाओं में नब्बे प्रतिशत किसी न किसी नशे के शिकार हैं। ये नशे की गिरफ्त में आकर तेजी से पतन की ओर जा रहे हैं। मादक द्रव्य सेवन किसी देश की समस्या नहीं है। न ही यह समस्या नई है पर जिस रूप में यह भारत के युवाओं में उभर कर आई है वह चिंता का कारण अवश्य बनी है। कुछ साल पहले कुछ युवा ही नशे की पकड़ में आते थे पर आज तो जिसे देखो नशे में झूमता दिखाई देता है। दुःख की बात यह है कि अब नशाखोरी में युवा ही नहीं युवतियाँ भी शामिल हो गई हैं। नशाखोरी की आदतों को पूरा करने के लिए ये हर तरह के असामाजिक अपराध कर रहे हैं। यह नशे की प्रवृत्ति केवल अमीर युवाओं में ही नहीं गरीब युवाओं में भी देखी जा रही है। नशा तो निकोटीन, कैफीन आदि पदार्थों में भी होता है पर इसका प्रभाव लंबे समय बाद पता चलता है। नुकसानदेह ये भी हैं। शराब के बारे में भी यही बात है। यह भी लंबे समय बाद शरीर को बीमार बनाती है। युवा वर्ग क्योंकि शराब का आदी हो जाता है इसलिए यह उसके स्वास्थ्य को ज्यादा नुकसान करती है। दूसरे शराब पीकर युवा अन्य कई प्रकार के अपराध करने लगते हैं। चोरी, चेन झपट आदि ऐसे अपराध हैं जो शराब की जरूरत पूरी करने के लिए किए जाते हैं। शराब पीकर क्योंकि इंसान शैतान हो जाता है इसलिए मारधाड़, हत्या, बलात्कार आदि अन्य अपराधों में शामिल होता चला जाता है। शराब से भी भयानक नशा युवाओं को हेराइन, मारफीन, कोकेन गांजा, हशीश आदि का लगा हुआ है। इन नशों के व्यसनी को समाज में आसानी से पहचाना जा सकता है। युवाओं को नशेखोरी से बचाने के लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना होगा। साथ ही सरकार को भी इस तरह के नशों पर भारत में पूरी तरह पाबंदी लगानी होगी। कई राजनेता इस तरह का प्रयास कर चुके हैं। उन्हें कुछ हद तक सफलता भी मिली है। बिहार में शराब पर पाबंदी लगाई जा चुकी है पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश कुमार का कहना है उत्तर प्रदेश में यह संभव नहीं है क्योंकि इस पर अगर पाबंदी लगाई गई तो गन्ना किसानों को हानि उठानी पड़ेगी। कुछ भी हो युवाओं को नशाखोरं से बचाना बेहद ज़रूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो देश का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। आखिर युवा ही तो कल का भारत है।

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