युवा पीढ़ी देश का भविष्य
Yuva Pidhi Desh Ka Bhavishya
युवा पीढ़ी कौन-सी है? यह सवाल सबसे पहले हमारे दिल और दिमाग में कौंधता है। चालीस-पैंतालीस साल के होने के बाद भी कुछ लोग युवा कहलाना पसन्द करते हैं। वे युवा संगठन की दौर अपने हाथ में रखते हैं क्या उन्हें माना जाए या फिर जो स्कूल- कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र हैं उन्हें युवा माना जाए? हमारे खयाल में वह पीढ़ी युवा कहलाती है जो अपनी पढ़ाई खत्म कर चुकी है और जो स्कूल-कॉलेजों, खेतों-खलिहानों, मिलों-कारखानों में कार्यरत है। हालाँकि छात्र-छात्राएँ भी युवा पीढ़ी में स्थान प्राप्त कर सकते हैं। यह पीढ़ी भी अध्ययन करते हुए देश के भविष्य में अपना योगदान दे सकती है।
एक नज़रिए से युवा पीढ़ी के बारे में विचार किया जा सकता है। वह पीढ़ी चाहे उम्र के पचास-साठ साल पार कर चुकी है लेकिन उसमें जोश आज भी पच्चीस-तीस साल के युवकों की तरह है तो उसे युवा पीढ़ी के अन्तर्गत स्वीकर किया जा सकता है। अंतर नई और पुरानी पीढी का माना जाना चाहिए। अगर किसी में भी देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने का जज्बा है आयवट हो। तो उसे युवा ही माना जाना चाहिए, भले ही आयुवृद्ध हो।
तो युवा पीढ़ी देश के भविष्य को संवार सकती है। युवा पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी में अक्सर मतभेद देखे जाते हैं जिनसे देश की प्रगति में बाधा पैदा हो जाती है और दोनों पीढ़ी परस्पर संघर्ष के लिए उतारु हो जाती है। पुरानी पीढ़ी अपने अनुभवों को महत्त्व देती है और अपने को नई पीढी से ज्यादा समझदार मानती है जबकि युवा पीढी अपने को अधिक गणवान व समर्थ मानती है। हमारा मानना है कि संघर्ष को त्यागकर दोनों पीढ़ियों को तालमेल बनाकर देश की प्रगति में योगदान देना चाहिए। युवापीढ़ी को पुरानी पीढ़ी के अनुभव से लाभ उठाकर नया करने की हर संभव कोशिश करते रहना चाहिए।
आज तक का भारत की प्रगति का इतिहास कहता है कि युवा पीढ़ी के कंधों पर प्रगति की डोर रही है पर पुरानी पीढ़ी का अनुभव काम आया है। तभी देश उन्नति के कदम बढ़ाता चला गया है। आज भी इसी तरह भारत का भविष्य युवा शक्ति संवार सकती है। युवा पीढ़ी ने नया पढ़ा है, नया सीखा है, उसके पास नई तकनीक है। उसने पाश्चात्य संस्कृति से भी बहुत कुछ सीखा है वह अपने अटूट ज्ञान से देश को नए शिखर पर पहुंचा सकती है। ज्ञान-विज्ञान में वह पुरानी पीढ़ी से बहुत आगे है। पुरानी पीदो को अनुभव है। पुरानी पीढ़ी जानती है कि भविष्य में क्या दिक्कत आ सकती है, इसलिए अगर यह नई पीढ़ी को सावधान करती है तो उसे लाभ होगा। पुरानी पीढ़ी को जिद छोड़कर युवाओं के देशहित के कामों को सराहना होगा तभी देश को प्रगति में युवा शक्ति अपना अमूल्य योग दे सकती है।