Vivekanand ji ke bare mein “विवेकानंद जी के बारे में” Hindi Essay 200 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

विवेकानंद जी के बारे में

Vivekanand ji ke bare mein 

जर्मनी के सुप्रसिद्ध विचारक नीत्शे ने, जो विवेकानंद का समकालीन था, घोषणा की कि ‘ईश्वर मर चुका है।’ नीत्शे के प्रभाव में यह बात चल पडी कि अब लोगों को ईश्वर में दिलचस्पी नहीं रही। मानवीय प्रवत्तियों को संचालित करने में विज्ञान और बौद्धिकता निर्णायक भूमिका निभाते हैं-यह स्वामी विवेकानंद को स्वीकार नहीं था। उन्होंने धर्म को बिलकुल नया अर्थ दिया। स्वामी जी ने माना कि ईश्वर की सेवा का वास्तविक अर्थ गरीबों की सेवा है। उन्होंने साधुओं-पंडितों, मंदिर-मस्जिद, गिरजाघरों-गोपाओं के इस परंपरागत सोच को नकार दिया कि धार्मिक जीवन का उद्देश्य संन्यास के उच्चतर मूल्यों को पाना या मोक्ष प्राप्ति की कामना है। उनका कहना था कि ईश्वर का निवास निर्धन-दरिद्र-असहाय लोगों में होता है, क्योंकि वे ‘दरिद्र-नारायण’ है। ‘दरिद्र-नारायण’ शब्द ने सभी आस्थावान् स्त्री-पुरुषों में कर्तव्य-भावना जगाई कि ईश्वर की सेवा का अर्थ दीन-हीन प्राणियों की सेवा है। अन्य किसी भी संत-महात्मा की तुलना में स्वामी विवेकानंद ने इस बात पर ज़्यादा बल दिया कि प्रत्येक धर्म गरीबों की सेवा करे और समाज के पिछड़े लोगों को अज्ञान, दरिद्रता और रोगों से मुक्त करने के उपाय करे। ऐसा करने में स्त्री-पुरुष, जाति-संप्रदाय, मत-मतांतर या पेशे-व्यवसाय से भेदभाव न करे। परस्पर वैमनस्य या शत्रुता का भाव मिटाने के लिए हमें घृणा का परित्याग करना होगा और सबके प्रति प्रेम और सहानुभूति का भाव जगाना होगा।

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