विज्ञान और समाज
Vigyan aur Samaj
विज्ञान और समाज का रिश्ता एकदम ऐसा है जैसे चोली-दामन का। यह समाज का सच्चा दोस्त है। कहा जाता है कि जो दोस्त हमेशा अपने दोस्त के हित में रहता है वह सच्चा दोस्त कहलाता है। विज्ञान भी हर वक्त समाज की सेवा में लीन रहता है इसलिए उसे समाज का सच्चा दोस्त कहा जाता है। पग-पग पर आने वाली हर चिंता को विज्ञान कुछ ही क्षणों में सुलझा सकता है। यह चिंता किसी भी प्रकार की क्यों न हो, चाहे शारीरिक हो. चाहे व्यापारिक हो और चाहे. मानसिक हो। विज्ञान समाज की हर समस्या हल करना अपना फर्ज समझता है।
स्वेट मार्टेन ने कहा है कि हमारा सदा यही लक्ष्य रहा है कि हमारा जीवन सुख और आनंद से भरा हो। महकवि जयशंकर प्रसाद ने भी कहा है कि जीवन का सत्य विज्ञान है। सुबह चारपाई छोड़ते ही हमारी दिनचर्या आरम्भ हो जाती है। शौच आदि से निवत होते हैं, भज्जन करते हैं। शेव करते हैं। इनमें भी विज्ञान अपना प्रभाव छोड़े बिना नहीं रहता। मसलन विजली के शेवर शेव करना। ककिंग गैस और ककिंगप्राश से भोजन तैयार करना। घर में बिजली से प्रकाश होना। ये सब वैज्ञानिक आविष्कारों की ही तो देन है। यहां तक कि चाय और चाय में पड़ने वाली चीनी पर भी विज्ञान का प्रभाव है। चीनी में पड़ने वाली कार्बन हाइडोजन और ऑक्सिजन का कारण भी विज्ञान ही है। चाय के साथ अखबार पढ़ना, टलीविजन देखना. इंटरनेट पर जाकर बैठना बिना विज्ञान के संभव नहीं है। समाचार पत्र के संपादन और प्रकाशन में भी विज्ञान का सहयोग है। सुबह काम पर जाना और भोजन साथ लेकर जाना। दोपहर तक भोजन ठंढ़ा हो जाना तो उसे गर्म करने का जो साधन उपयोग किया जाएगा यानी ओवन तो वह भी विज्ञान की ही देन है। अगर काम पर जाओगे तो जिस साधन से जाओगे वह भी विज्ञान की देन है। चाहे वह साईकिल हो, चाहे मोटर साईकिल, चाह कार हो और चाहे बस, चाह रेल हो और चाहे मेट्रो, सब विज्ञान की देन है। दफ्तर पहुंचे तो आप को सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ेंगी, यहाँ थकान से बचने के लिए आप लिफ्ट का सहारा लेंगे। यह भी विज्ञान की देन है। दफ्तर में काम करते-करते थक गए तो आपने थकान मिटाने के लिए विटामिन बी की गोलियाँ खाई। यहाँ भी विज्ञान है। सर दर्द है तो एनासिन ले ली। बल्ड प्रेशर है तो उसे दूर करने के लिए गोली ले ली। शुगर है तो उसके लिए भी गोली। कहने का मतलब है कि मन उदास हो तो तब भी विज्ञान आपके सामने आकर खड़ा हो जाएगा। इस सबसे यह पता चलता है कि समाज में विज्ञान का अपूर्व योग है। सच तो यह है कि पैदा होने से मृत्य तक विज्ञान व्यक्ति की किसी रूप न किसी में मदद करता रहेगा।