विद्यालयों में प्रवेश की समस्या
Vidyalayo me Pravesh ki Samasya
जैसे-जैसे देश की जनता में अपने बच्चों को शिक्षित करने के प्रति जागरूकता आई है, वैसे-वैसे स्कूलों विशेष रूप से निजी स्कूलों में बच्चों के दाखिले की समस्या खडी होने लगी है। यह समस्या इतनी जटिल हो गई है कि बच्चों के अभिभावक निजी स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिले के लिए चक्कर काट-काट कर हार जाते हैं पर दाखिला नहीं होता। दिल्ली महानगर में ही पब्लिक स्कूलों में दाखिले के लिए पाँच-से दस लाख तक डोनेशन देनी पड़ती है और तब भी दाखिला आसानी से नहीं हो पाता। इसमें भी अभिभावकों को दलालों का सहारा लेना पड़ता है। स्कूलों को डोनेशन दो, दलालों को दो-तीन लाख रुपए ऊपर से दो तब जाकर दाखिला हो पाता है। गरीब बच्चों को इन स्कूलों में दाखिला मिल ही नहीं सकता। कभी किसी छात्र को मिल भी जाए तो इतने महंगे हैं कि वहाँ पढ नहीं सकता। इन स्कूलों में प्रति माह की फीस ही आठ-दस हजार रुपए महीने होती है। यों तो देश के सभी हिस्सों में बच्चों को दाखिले की समस्या कठिन है पर मुंबई, पुणे, चेन्नई, लखनऊ, भोपाल, बंगलूरू आदि में यह समस्या विकट है। जब तक सरकार की ओर से इस संबंध में कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक यह समस्या जस की तस रहेगी। निजी स्कलों पर केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर शिंकजा कसना होगा तभी जाकर यह विकट समस्या समाप्त हो सकती है।