वन रहेंगे तो ही हम रहेंगे
Van Rahenge to hi Hum Rahenge
अमूल्य प्राकृतिक सुषमा के आगर अरण्यों को बनाए रखने के लिए वन संरक्षण आज की बहुत बड़ी आवश्यकता है। समय पर संतुलित वर्षा का उपयोग और राष्ट्र को जल के अभाव से बचाने के लिए वन संरक्षण की बहुत जरूरत है। जलवाय में असामयिक परिवर्तन रोकने के लिए पर्यावरण को संतलित बनाए रखने के लिए और वायु प्रदूषण से अप्रभावित रखने के लिए वन संरक्षण आवश्यक है। वन्य प्राणियों के जीवन और वनों से प्राप्त औद्योगिक कच्चे माल को बचाने के लिए वन-संरक्षण की आवश्यकता है। इतना ही नहीं. सस्य-श्यामला भूमि को बंजर होने से बचाने, भू-क्षरण, पर्वत-स्खलन को रोकने तथा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन संरखण की आवश्यकता है। वन जड़ी-बूटियों की खान हैं जिनसे जीवन रक्षक औषधियाँ बनती हैं। वृक्षों की छाल और पत्तियाँ भी जड़ी-बूटियों का काम देती हैं। इस प्रकार मधु-मक्खियाँ फूलों के मकरंद से शहद बनाती हैं जिसका उपयोग दवाइयों में होता है और खाने के काम भी आता है। वनों से हमें लकड़ियाँ मिलती हैं, लकडी न केवल ईंधन के काम आती हैं, अपितु भवन निर्माण, मेज, कुर्सी, खिड़की-द्वार । आदि अनेक वस्तुओं के निर्माण और साज सज्जा में इसका उपयोग होता है। वनों से बाँस, यूक्लिप्टस, फर की लकडी और घास मिलती है जिनसे कागज बनता है। लाख और गोंद मिलता है जो खिलौने बनाने और रंग में मिलाने के काम आता है। वनों में उत्पन्न वृक्षों से प्लाईवुड बनती है, जो सौन्दर्य-साज सज्जा और खेल-कूद का सामान बनाने में काम आती है। खैर की लकडी से कत्था और तेन्द वक्ष के पत्तों से बीडी बनती है। बाँस के वृक्षों से बसलोचन मिलता है। नीलगिरि के वनों से रबड़ मिलती है। इस तरह वन हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। अगर स्वार्थवश निरन्तर लोग वृक्ष काटते चले जाएंगे तो हमारा जीवन जीना कठिन हो जाएगा। आखिर यही तो जलवायु संरक्षण, प्रदुषण संरक्षण में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इसलिए यह कहना बिलकुल ठीक है कि वन रहेंगे तो हम रहेंगे। अत: वन ही हमारा जीवन है।