वन और हमारा पर्यावरण
Van aur Hamara Paryavaran
वन और पर्यावरण का गहरा संबंध है। प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए धरती के 33% भाग पर वनों का होना आवश्यक है। वन जीवनदायक हैं। ये वर्षा लाने में सहायक होते हैं। धरती की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं। वनों की कृपा से ही भूमि का कटाव रुकता है। सूखा कम पड़ता है तथा रेगिस्तान का फैलाव रुकता है। वन और वृक्ष ध्वनि प्रदूषण भी रोकते हैं। यदि शहरों में उचित अनुपात में पेड़ लगा दिए जाएँ तो प्रदूषण की भयंकर समस्या का समाधान हो सकता है। वन ही नदियों, झरनों और अन्य प्राकृतिक जल-स्रोतों के भंडार हैं। इसके अतिरिक्त वन हमें लकड़ी, फूल-पत्ती, खाद्य-पदार्थ, गोंद तथा अन्य सामान प्रदान करते हैं। दुर्भाग्य से आज भारतवर्ष में केवल 23% वन रह गए हैं। जैसे-जैसे उद्योगों की संख्या बढ़ती जा रही है, वाहन बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे वनों की आवश्यकता और अधिक बढ़ती जाएगी। वन-संरक्षण कठिन किंतु महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए एक-एक व्यक्ति को अपना योगदान देना पड़ेगा। अपने घर में, मुहल्ले में, नगर में, ग्राम में बड़ी संख्या में पेड़ लगाने होंगे।