Unity is Strength “एकता ही बल है” Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph for Class 8, 9, 10, 12 Students.

एकता ही बल है

Unity is Strength

 

एक होने की स्थिति या भाव एकता है । एकता हमें याद दिलाती है कि मनष्य-मनुष्य एक है । कोई छोटा या बड़ा नहीं है। इसलिए हमारे मन मिले रहें और हम लोग मिल-जुलकर कार्य करते रहें । एक अकेला कुछ नहीं कर सकता. सब मिल जाएँ तो कुछ भी संभव है । कहा भी गया है – ‘अकेला चना भाँड नहीं फोड़ सकता।’

एकता में अद्भुत शक्ति होती है । जलती हुई लकड़ियाँ अलग-अलग होने पर धुआँ छोड़ती हैं, एक साथ होने पर जल उठती हैं । तिनके अकेले रहकर कुछ नहीं कर पाते, साथ मिलकर रस्सी का रूप धारण कर लेते हैं । हिरनों के झंड पर शेर हमला बोलने से पहले सौ बार सोचता है । चींटियों का समह गिरगिट को वश में कर लेता है। इसी तरह जब लोगों में एकता होती है तो बड़े से बड़ा काम भी आसान हो जाता है । संसार एकता के सामने हमेशा सिर झुकाता है।

हाथ की उंगलियाँ अलग-अलग रहकर कुछ नहीं कर पातीं । लेकिन मिलकर तरह-तरह के कार्य करती हैं। किसी चीज को उठाना हो तो पाँचों इकट्ठा होकर उठाती हैं । इसलिए हमें एकता की भावना से काम करना चाहिए । ‘अपनी डफली अपना राग’ के सिद्धान्त पर चलने वाले लोगों को पछताना पड़ता है । उनकी कोई नहीं सुनता । परन्तु जब समूह बनाकर काम किया जाता है तो काम बन जाता है । गाँधी जी ने आजादी की लड़ाई में आम लोगों को जोडा । उन्होंने दनिया के सामने एकता का एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया । इस एकता के सामने अँगरेज़ों को झुकना पड़ा । उन्हें भारत को आजाद करना पड़ा।

एकता के बल को पहचान कर मजदूर और कर्मचारी संगठन बनाकर काम करते हैं । मजदूर संगठन, बैंक कर्मचारी संगठन, रिक्शा चालक संगठन, किसान यूनियन, व्यापारी संगठन आदि काफी मजबूत होते हैं । ये एकता के बल पर अपनी बात मनवा सकते हैं । यातायात को रोककर जन-जीवन ठप कर सकते हैं । मजदूर हड़ताल करके फैक्ट्री का काम-काज रोक सकते हैं । जब संगठन मिलकर आवाज़ उठाते हैं तो सरकार को इनकी माँगें माननी पड़ती हैं । जब जनता एकत्रित होकर सड़कों पर उतर आती है तो प्रशासन उनकी माँगें मानने के लिए विवश हो जाता है।

आपसी फूट से एकता में बाधा आती है । भाई-भाई लडते हैं तो बाहर के लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं । अँगरेज़ों ने भारत के लोगों की आपसी फूट का पूरा लाभ उठाया । देश पर मुट्ठी भर अँगरेज़ों का राज हो गया । विभीषण और रावण की फूट का लाभ राम ने उठाया । अतः हमें आपस में भेद-भाव नहीं रखना चाहिए । जो आपस में मिलकर नहीं रहते, वे कभी सुख नहीं पाते । इसलिए जात-पाँत, ऊँच-नीच आदि का भेदभाव भूलकर सभी भारतवासियों को एक हो जाना चाहिए।

शक्तियों को एकत्रित करने से एकता उत्पन्न होती है । शक्तियों के छिन्न-भिन्न होने से फूट आती है । बुद्धिमान लोग हमेशा शक्तियों को इकट्ठा रखने की बात करते हैं । वे समझते हैं कि भेदभाव ऊपर-ऊपर से है, भीतर से सब एक हैं । जहाँ एकता होगी वहाँ परिवार, समाज और राष्ट्र स्वाभिमानी होकर सुख-शांति से जी सकेगा । जहाँ एक होकर काम करने की भावना होगी वहाँ उन्नति के सभी द्वार अपने आप खुलने लगेंगे । अतः हमें एक होकर रहना चाहिए।

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