TV par dikhai jane wale betuke vigyapano ki alochna karte hue sampadak ko patra, ” दूरदर्शन में दिखाए जाने वाले बेतुके विज्ञापनों की आलोचना करते हुए संपादक को पत्र”

समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर दूरदर्शन में दिखाए जाने वाले बेतुके विज्ञापनों की आलोचना करें जो बच्चों पर बुरा असर डालते हैं।

 

सेवा में

संपादक

नवभारत टाइम्स

पटना

विषय-बेतुके विज्ञापनों पर रोक

महोदय

में देश की जनता का ध्यान अनर्गल विज्ञापनों की ओर खींचना चाहता हूँ। कृपया मेरे इन विचारों को छापकर कृताथ करें-

आजकल के विज्ञापन मर्यादाहीन हो गए हैं। कोई अपना वाशिंग पाउडर बेचने के चक्कर में कह रहा है-‘दाग अच्छे हैं।’ कोई सुगंध बेचने के चक्कर में कामुकता को बढ़ावा दे रहा है और कोई बनियान या जूते बेचने के चक्कर में असंभव और बेतुके कारनामे दिखा रहा है। इन विज्ञापनों का न तो अर्थ है न सिर-पैर। इन्हें देखकर अविकसित बच्चों पर बुरा असर दंड दें। पड़ता है। सेंसर बोर्ड के सदस्यों को चाहिए कि वे जानबझकर अश्लीलता, फ़ूहडता दिखाने वाले विज्ञापनों को रोक और उन्हे धन्यवाद!

भवदीय

संजय झा

385, सैक्टर-16

दरभंगा।

जुलाई 23, 2014

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