पक्षी
The Bird
उड़ने वाले जीवों को पक्षी कहा जाता है । पक्षियों के पंख सन्दर और -बिरंगे होते हैं । पंखों की सहायता से ये आसानी से उड़ सकते हैं । आसमान में उड़ते पक्षियों को देखना बहुत अच्छा लगता है । माना जाता है कि पक्षी को उड़ता देख मनुष्यों को वायुयान बनाने की प्रेरणा मिली होगी । पक्षी संसार के सुन्दर जीवों में से एक होते हैं।
पक्षी पेड़ों पर रहते हैं । वे पेड़ की शाखा पर अपना घोंसला बनाते हैं । वे यहाँ अंडे देते हैं तथा आराम करते हैं । अंडों से पक्षी के नन्हे-नन्हे बच्चे निकल आते हैं । पक्षी अपने बच्चों को अनाज के दाने, फल आदि खिलाते हैं। वे बच्चों को उडना सिखाते हैं । बच्चे उडना सीखकर भोजन की खोज में निकल जाते हैं। धीरे-धीरे वे माता-पिता से अलग होकर रहने लगते हैं।
पृथ्वी पर पक्षियों की अनेक जातियाँ पाई जाती हैं । कौआ, मैना, बुलबुल, तोता, मुर्गा, गौरेया, मोर, कोयल, बाज आदि प्रमुख पक्षी हैं । पक्षियों में कोयल की बोली सबसे मीठी होती है । बसंत ऋतु में कोयल की मीठी आवाज सबका मन मोह लेती है । मोर हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी है । इसक रंग-बिरंगे पंखों की शोभा निराली हेती है । इसका नृत्य बड़ा मनमोहक होता है । तोता, कबूतर आदि कुछ पक्षियों को हम लोग पालते हैं । कबूतर पक्षी शांति का प्रतीक माना जाता है । तोता अपनी बोली से हमारा मनोरंजन करता है कुछ लोग इसे पिंजड़े में रखकर पालते हैं।
कुछ पक्षी जल में रहते हैं । इन्हें जल-पक्षी कहा जाता है । जलमुर्गी, हस, बत्तख, बगला आदि प्रमुख जल-पक्षी हैं । जल-पक्षी तालाब, झील आदि जलाशयों की शोभा बढ़ाते हैं । जल-पक्षी छोटी मछलियाँ तथा जल के छोटे-छोटे जीवों को खाकर अपना गुजारा करते हैं।
पक्षियों का शरीर हल्का होता है । इससे उन्हें उड़ने में आसानी होती है। पक्षियों के मजबूत पंजे उन्हें देर तक उड़ने की शक्ति कुछ पक्षी लंबी यात्रा करते हुए दूसरे देशों में पहुँच जाते हैं । ये प्रवासी पक्षी कहलाते हैं। भारत में हर वर्ष हजारों प्रवासी पक्षी हजारों मील की यात्रा करते हुए आते हैं । वे यहाँ अत्यधिक ठंड से बचने के लिए आते हैं । दो-तीन महीने रहकर वे वापस अपने देश लौट जाते हैं।
पक्षियों का भोजन बहुत सामान्य होता है । छोटे पक्षी फल-मूल या अनाज के दाने खाकर अपना गुजारा कर लेते हैं । कुछ पक्षी मांसाहारी होते हैं । कौआ, बाज, बगला आदि मांसाहारी पक्षी हैं । ये कीड़े-मकोड़े तथा मरे हुए जन्तुओं का मांस खाकर जीवित रहते हैं । मांसाहारी पक्षियों में से कुछ शिकारी होते हैं । ये अपने नुकीली चोंच के मदद से छोटे-छोटे जीवों का शिकार करके खाते हैं । अलग-अलग पक्षियों के चोंच भी अलग-अलग होते हैं । चोंच के आकार का प्रभाव इनके भोजन के ढंग तथा घोंसले की बनावट पर स्पष्ट देखा जा सकता है। मांसाहारी पक्षियों की चोंचें कुछ अलग प्रकार की होती है।
इस प्रकार पक्षियों का संसार बहुत अद्भुत है । ये हमारे पर्यावरण के आवश्यक अंग हैं । पक्षियों का कलरव बहुत आनंददायी होता है । ये जंगल को मंगल कर देते हैं । हमें इस सुन्दर जीव को पूरा संरक्षण देना चाहिए। पक्षियों के इलाज और रखरखाव के लिए बहुत से स्थानों पर पक्षीशालाओं की स्थापना की गई है। हमें बीमार पक्षियों को यहाँ इलाज के लिए पहुँचा देना चाहिए । पालतू पक्षियों की देखभाल पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।