स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
Swasthya Suvidhao ka Abhav
भारत लगातार स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रगति करता जा रहा है। इसके बाद भी जितनी इसकी आबादी है उतने पर डॉक्टर नहीं हैं। कहा जाता है कि प्रत्येक हजार लोगों पर कम से कम एक डॉक्टर अवश्य होना चाहिए। तभी देश के सभी लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है। स्वास्थ्य पर भारत सरकार अरबों-खरबों रुपए खर्च करती है। लेकिन इसके बाद भी लोगों को स्वाथ्य लाभ नहीं मिल पाता है। इसका एक कारण तो देश में बढ़ती जनसंख्या है और दूसरा कारण देश के भ्रष्ट नेता हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एकत्र धन मरीजों पर खर्च नहीं होता अधिकांशतः भ्रष्ट कर्मचारियों, अधिकारियों व नेताओं की जेब में चला जाता है। देश में दूरदराज क्षेत्रों में ऐसे स्थानों का अभाव नहीं है जहाँ बीस-बीस किलोमीटर पर डॉक्टर के दर्शन नहीं होते। गंभीर बीमार तो जब तक शहर ले जाया जाता है, रास्ते में दम तोड देता है। औचक निरीक्षण करने पर देखा जाता है कि कहीं डॉक्टर अस्पताल में नहीं होता और अगर होता है तो कहीं जाकर सो जाता है। यही हाल नसों और अन्य सरकारी कर्मचारियों का है। कई बार रोगियों को ज्यादा मुनाफे के चक्कर में नकली दवाएँ थमा दी जाती हैं। यह जीते हुए मरीज को मार देती हैं। कई बार तो यह भी देखा गया है कि डॉक्टर मरीजों को गैरजरूरी ऑपरेशन कर देते हैं। कस्बा और गाँवों में ऐसे मामले ज्यादा उभर कर आते हैं। कई डॉक्टर इतने लापरवाह हैं कि ऑपरेशन के दौरान पेट में कैंची और नेपकिन तक छोड़ देते हैं। जहाँ मरीजों को स्वास्थ्य सविधाएँ पूरी नहीं मिलतीं, वहाँ मरीजों का स्वस्थ होना कैसे माना जा सकता है। यह तो तभी संभव है जब डॉक्टर सेवा भाव से अपनी जिम्मेदारी निभाएँ और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार खत्म हो। भ्रष्टाचार खत्म होते ही स्वास्थ्य सुविधाएँ बढ़ जाएँगी क्योंकि मरीजों के लिए तैय बजट मरीजों पर ही खर्च होगा।