Swasth Tan, Swasth Mann “स्वस्थ तन, स्वस्थ मन” Hindi Essay 200 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

स्वस्थ तन, स्वस्थ मन

Swasth Tan, Swasth Mann

जब तक तन स्वस्थ नहीं रहता तब तक मन स्वस्थ नहीं रह सकता। यह कहना था योग गरू आचार्य धर्मेन्द्र ब्रह्मचारी का। इससे यह अर्थ निकलता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ संस्कार जाग्रत होते हैं। लेकिन यह कथन अनेक विवाद पैदा करता है। पहला विवाद तो यह है कि तन नहीं मन स्वस्थ रहना चाहिए। स्वस्थ मन में स्वस्थ शरीर के प्रति स्वस्थ भाव जाग्रत होते हैं। दसरा तर्क यह है कि जब मन में स्वस्थ रहने के विचार उठते हैं तब व्यक्ति अनेक उपक्रम करता है। जैसे प्रात: उठकर सैर के लिए जाना, व्ययाम करना एवं योगासन, योगमुद्राएँ आदि करना। जब व्यक्ति स्वस्थ रहेगा तो वह देश, समाज के कार्यों में रूचि लेगा। बीमार व्यक्ति तो अपने शरीर के कष्ट को अनुभव कर पीड़ित होता रहता है। वह देश समाज के बारे में नहीं सोच पाता। इसलिए कहा जाता है स्वस्थ तन रखो, और स्वस्थ मन रखो। भाव यह है कि दोनों चीजें एक नहीं हैं अपितु अलग-अलग हैं। यानी शरीर भी स्वस्थ रहना चाहिए और मन भी स्वस्थ रहना चाहिए। तभी व्यक्ति अपनी परिवार की, समाज की और देश की उन्नति के संबंध में सोच सकता है।

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