स्वाधीनता दिवस (Swadhinta Divas)
दो सौ साल की गुलामी के बाद 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ। इस दिन सूर्य की पहली किरण ने आजाद भारत की भूमि को नमन किया। हवा गीतों की-सी गुनगुनाहट थी। चिड़ियों की चहक में उमंग थी। फूलों की मुस्कुराहट में और दिनों से अधिक ताजगी थी। गुलामी की जंजीरें टूटी थीं। एक लंबा संघर्ष खत्म हुआ था। देश की आजादी के लिए हजारों ने अपनी कुर्बानियाँ दी थीं। बलिदानियों का बलिदान सफल हुआ था।
15 अगस्त हमारा राष्ट्रीय पर्व है। गर्व और स्वाभिमान से सिर ऊँचा करके चलने का दिन। खुशियों और उमंगों का दिन। साथ ही हमारे शहीदों को श्रद्धा सहित नमन करने का दिन ।
सन् 1857 से आजादी की लड़ाई तेज हुई, क्योंकि हमें गुलाम बनाकर रखने वाले अंग्रेज शासकों के जुल्म और अत्याचार काफी बढ़ गए थे। जो देश कभी ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था, जिसकी कला और संस्कृति का आज भी कोई सानी नहीं है, ऐसे देश को अंग्रेज शासक लूटने में लगा था। हमारी प्राचीन सभ्यता को मिटाने में लगा था। ऐसे में विद्रोह होना स्वाभाविक था। इस विद्रोह का बिगुल सन् 1857 मे मंगल पांडे ने बजाया । फिर तो युवा भारत आजादी पाने को छटपटा उठा। विद्रोह की लहर पूरे देश में फैलने लगी। सन् 1942 में तो यह आग ज्वाला बन गई। ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ का नारा लगा और महात्मा गांधी के नेतृत्व में अहिंसात्मक आंदोलन शुरू हो गया।
मंगल पांडे, तात्या टोपे, लक्ष्मीबाई, नाना साहब, टीपू सुल्तान जैसे वीर देशभक्तों ने आजादी की लड़ाई की मशाल अपने हाथों में उठाई। इसके बाद लाला लाजपतराय, तिलक, विपिनचन्द्र पाल, गोखले, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी जैसे नेताओं के नेतृत्व में देश का संघर्ष जारी रहा। पं. जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस, जयप्रकाश नारायण, लोहिया, सावरकर जैसे राष्ट्र को समर्पित नेताओं ने मशाल को प्रज्वलित रखा। युवा क्रान्तिकारियों का नेतृत्व किया भगतसिंह, आजाद, बिस्मिल और सुखदेव ने इन सबके बलिदान और त्याग ने ही भारत की धरती पर आजादी के फूल खिलाए।
आज के दिन देश के प्रधानमंत्री ऐतिहासिक लाल किले पर देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते हैं और देश के नाम संदेश देते हैं। हर नगर में परेड और झंडारोहण होता है। स्कूलों के बच्चे परेड करते हैं। पूरे देश में, हर युवा, वृद्ध नागरिकों में एक उत्साह होता है। सब तरफ एक खुशी होती है, चेहरों पर गर्व का भाव होता है।
कैसे मनाएँ स्वाधीनता दिवस (How to celebrate Independence Day)
- भारतमाता की तस्वीर रखें।
- माल्यार्पण कर दीप जलाएँ।
- आयोजन स्थल को तिरंगी ध्वजा से सजाएँ। आँगन में अल्पना और मांडने बनाएँ। झंडा फहराएँ।
- मंच पर खूब सारे दीपकों की कतार बनाएँ।
- परेड का आयोजन करें। मार्च पास्ट गीत गाएँ, भारतमाता को सेल्यूट दें।
- राष्ट्रीय भावना के गीत-कविताओं को गाने की प्रतियोगिता रखें।
- आजादी की लड़ाई में शहीद हुए शहीदों की गाथाएँ बच्चे सुनाएँ।
- देशभक्त लोगों की फोटो प्रदर्शनी लगाएँ ।
- संक्षिप्त में बच्चों को आजादी कैसे मिली यह बताएँ ।
- तिरंगे झंडे की जन्म कहानी, राष्ट्रीय ध्वज का महत्व आदि बच्चों को बताएँ।
- राष्ट्रीय ध्वज बनाने की प्रतियोगिता रखें।
- आजादी की लड़ाई से जुड़ी किसी घटना का या राष्ट्रीय भावना के एकांकी का मंचन कराएँ।
- बच्चों को ध्वज खोलने और समेटने के नियम बताएँ। अंत में राष्ट्र-वंदना करें।