सुपर बाजार
Super Bazar
सुपर बाजार का अर्थ है – बड़ा बाजार । यानी एक ऐसा बाजार जहाँ आम जरूरत की सभी चीजें मिलती हैं । सुपर बाजार आधुनिक शहरी संस्कृति की देन हैं । आजकल सभी महानगरों में सुपर बाजार हैं । सुपर बाजार और माल्स नगरों की शान हैं । ये ऐसे व्यापारिक केन्द्र हैं जहाँ हर दिन करोड़ों का कारोबार होता है । यहाँ खरीदारी के लिए लोग बड़ी संख्या में आते हैं।
सुपर बाजार सामान्य बाजार के विकसित रूप हैं । यहाँ तरह-तरह की दुकानें होती हैं । सूई से लेकर कार तक यहाँ से खरीदी जा सकती हैं । खाने-पीने की प्रत्येक वस्तु यहाँ उपलब्ध होती है । सिले-सिलाए वस्त्र, किताबें, खिलौने तथा घरेलू आवश्यकता की किसी की वस्तु को यहाँ आकर खरीदा जा सकता है । सुपर बाजार लोगों को सभी तरह की वस्तुओं को एक ही स्थान पर उपलब्ध करा देता है । हरी-ताजी सब्जियाँ, मिठाइयाँ, दूध, दही आदि खरीदने के लिए लोगों को कहीं और जाने की जरूरत नहीं होती है।
सुपर बाजार किसी भी शहर के मुख्य केन्द्र होते हैं । यहाँ के दुकानों की इमारतें बहुत भव्य होती हैं । बाजार की रौनक देखते ही बनती है । शाम के समय बिजली की रंग-बिरंगी बत्तियों के जलने से बाजार और भी आकर्षक हो उठता है। दकानों में वस्तएँ बहुत सजावट के साथ रखी होती हैं । सस्ती चीजों को इस तरह सजाकर रखा जाता है कि वे महँगी दिखाई देने लगती हैं । खरीदारी का अनुभव न रखने वाले यहाँ ठगी के शिकार बन सकते हैं । वस्तुतः यहाँ खरीदारी करने में नए-नए अनुभव प्राप्त होते हैं । लोग यहाँ की चमक-दमक देखकर ठगे से रह जाते हैं । त्योहारों में यहाँ विशेष भीड़ और रौनक रहती है । दुकानदार ग्राहकों को लुभाने के लिए नए-नए तौर-तरीके अपनाते हैं।
समय की बचत की दृष्टि से सपर बाजारों का बहुत महत्त्व है । यहाँ कम समय लगाकर अधिक से अधिक चीज़ों को खरीदा जा सकता है । दुकानदार ग्राहकों को लुभाने के लिए तरह-तरह की चेष्टा करते हैं । हर सामान पर उनकी कीमतें दर्ज होती हैं । इस तरह मोल-तोल की संभावना कम हो जाती है । खरीद-बिक्री के काम में मशीनों का प्रयोग बहुत होता है। मशीनें मोल-तोल और सारा हिसाब चुटकियों में कर देती हैं । इस तरह दुकानदार बहुत सारे ग्राहकों से जल्दी ही निबट सकता है।
सुपर बाजार में वस्तुओं की कीमतें आम बाजारों से कुछ अधिक होती हैं । इसलिए कुछ लोग इसे धनी लोगों का बाजार कहते हैं । सुपर बाजार धनी लोगों के लिए अधिक सुविधाजनक होता है । उनके लिए वस्तुओं की कीमत अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं होती है; वे केवल सुविधा देखते हैं । वे अपनी कार से आते हैं और बड़े आराम से खरीदारी करते हैं । यहाँ वे भीड, धूल और धुएँ से बचे रहते हैं । सुपर बाजार में खरीदारी उन्हें मानसिक संतुष्टि प्रदान करती है । यहाँ जेब में रुपये न होने पर क्रेडिट कार्ड से भी खरीदारी की जा सकती है । आजकल क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने का फैशन-सा चल पड़ा है।
जैसे-जैसे शहरीकरण हो रहा है वैसे-वैसे सुपर बाजारों का महत्त्व बढ़ता जा रहा है । सुपर बाजार में दुकानों के अलावा सिनेमाघर, क्लब, थियेटर तथा मनोरंजन के अन्य साधन भी होते हैं । यहाँ बच्चों के लिए झरने व झूले होते हैं । अतः सुपर बाजार न केवल खरीदारी बल्कि मनोरंजन के भी साधन होते हैं । लोग सपरिवार यहाँ आकर अपना मनोरंजन करते हैं।