सूखे के दुष्परिणाम
Sukhe ke Dushparinam
जब इन्द्रदेवता नाराज़ हो जाते हैं तब सूखा पड़ जाता है। देश में अकाल की स्थिति आ जाती है। लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हो जाते हैं। जमाखोरों की कृपा से अमीर लोग बेशक महँगा अनाज खरीद कर बच जाते हैं किंतु गरीबों को तो भूखा मरना पडता है। कभी-कभी ऐसे हालात हो जाते हैं कि अनाज के बगैर प्राण-पखेरू उड़ जाते हैं। जब मनुष्य ही अन्न से वंचित हो जाता है तो पश-पक्षी को भला क्या मिल सकता है। लोग अपना बचा-बचाया अनाज कुछ दिन खाकर जी सकते हैं पर पश पक्षी तो दो-तीन दिन बाद ही दम तोड़ने लगते हैं। उनके मरने पर तरह-तरह की बीमारियाँ फैलनी शुरू हो जाती हैं। सब ओर बदब ही बदबू फैल जाती है। लोगों को साँस लेना मुश्किल हो जाता है। नदियाँ प्रदूषित हो जाती हैं। जो भी पानी पीता है मरना शुरू हो जाता है।
जब बारिश नहीं होती तो लोग कोशिश करते हैं कि संचित पानी से खेती करें। लेकिन वह भी बेचारे किसानों के पास जमा नहीं होता। अगर होता भी है तो वह पर्याप्त मात्रा पर उपलब्ध नहीं होता। उससे धरती की प्यास नहीं बुझती। बारिश न होने पर किसान बदहाल हो जाते हैं। वे तो खेतों में बीज बोकर निश्चंत हो जाते हैं कि बारिश आएगी और उनकी फसल लहलहा उठेगी। पर बारिश न होने पर उनकी फसल उगती ही नहीं है।
जब सखा अपना प्रकोप बरसाता है तो शहरों पर उसका प्रभाव कम पड़ता है लेकिन गाँवों पर ज्यादा पडता है। शहरों में – लोग अनाज कम होने पर या न होने पर महँगे दामों पर खरीद कर खा लेते हैं पर ग्रामीणों के पास जमा अनाज नहीं होता है। उन्हें तो भूखा मरना पड़ता है। बरसात न होने पर बरसाती नदियाँ सूख जाती हैं। तालाबों की भी यही स्थिति होती है। जल के कारण जीवित रहने वाले पौधे मर जाते हैं। मौसम में गर्मी बढ़ जाती है।
ऐसे में सरकार की ओर ही किसान मुँह ताकता है। जिन क्षेत्रों में सरकार की ओर से मदद हो जाती है. वहाँ का जीवन थोडा खशहाल हो जाता है परन्तु जहाँ यह मदद नहीं पहुँचती वहाँ तो बुरा हाल होता है। पानी की कमी का प्रभाव हर जगह दिखाई देने लगता है।
ऐसे में सरकार को और निजी संस्थाओं को आगे आना चाहिए। सरकार के लिए जरूरी है कि कृषि क्षेत्रों में ऐसे संयंत्र लगाए जिनसे किसानों को बारिश पर निर्भर न रहना पडे। जहाँ सुखे की स्थिति आ जाती है वहाँ ग्रामीणों को पेट भरने के लिए अनाज वह दूसरी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराए। बारिश तो भगवान भरोसे है पर कृषि के लिए जल का विकल्प तो इंसान के भरोसे और सरकार के भरोसे है। अत: कृषि के लिए वैकल्पिक जल की व्यवस्था कर सूखे की मार से बचा जा सकता है।