स्त्री शिक्षा और सामाजिक चेतना
Stri Shiksha aur Samaj Chetna
एक चिंतक ने नारी शिक्षा के संबंध में बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात कही है। उसका कहना है कि नारी बिना शिक्षा प्राप्त ही सामाजिक चेतना की वाहक है अगर वह शिक्षित हो जाए तब तो वह विश्व की विख्यात ध्वजा वाहक हो सकती है। इस गद्य पंक्ति में यह भाव छिपा है कि नारी तो साक्षर न होने पर भी शिक्षित ही है। वह तो अशिक्षित होने पर भी व्यक्ति की अनेक समस्याओं को दूर कर देती है। लेकिन अगर वह शिक्षित हो जाती है तो तब उसमें तमाम मानवीय सद्गुणों का उद्भव हो जाता है। वह परिवार, समाज व बच्चों को चरित्रवान बना सकती है। एक नारी अगर शिक्षित हो जाती है तो तमाम परिवार शिक्षित हो जाता है। अतः पारिवारिक सुख-शान्ति के लिए और पूर्ण परिवार को सुशिक्षित बनाने के लिए नारी की शिक्षा का अद्वितीय महत्त्व है। वह स्नेह और सौजन्य की देवी है। वह पशतुल्य व्यक्ति को मानव बना सकती है। वह अपनी वाणी से जीवन को अमृतमय बना सकती है।
यही कारण है कि वेदकाल से लेकर आज तक नारी को सुशिक्षित करने का प्रयास किया जाता रहा है। वेदकालीन नारी तो शास्त्रार्थ महारथी थी। मध्यकाल में अवश्य नारी शिक्षा के प्रति ध्यान नहीं दिया गया। उसे केवल अंकशायिनी और मनोरंजन का साधन समझा गया। अंग्रेजी शासन के उत्तरार्द्ध में नारी शिक्षा के प्रयास किए जाने लगे। राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, ज्योतिबा फुले आदि समाज सुधारकों ने स्त्री शिक्षा पर बल दिया। देश आजाद होने पर भारत सरकार ने नारी शिक्षा को प्राथमिकता दी। गाँव-शहर में नारी शिक्षा का प्रबंध किया गया। उनके लिए निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई। यह निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था आज तक जारी है। यही कारण है, आज अनपढ़ माँ बाप भी अपनी बेटियों को पढ़ाना पसंद करते हैं। यही कारण है कि आज नारी समाज के सभी क्षेत्रों में अपनी शैक्षणिक योग्यता का परचम लहरा रही है। नारी शिक्षा के कारण प्रतिभा पाटील भारत की राष्ट्रपति रही है। किरण वेदी उच्च पुलिस अधिकारी के बाद राज्यपाल की जिम्मेदारी निभा रही है। इंदिरा जी भारत की महिला प्रधानमंत्री रही है। सुषमा स्वराज आज विदेश मंत्री पद पर कार्य कर रही है। साहित्य, कला, संस्कृति, खेल यानी जीवन के हर क्षेत्र में नारी ने अपनी काबलियत दिखाई है। वह सेना में हवाई जहाज ही नहीं उडा रही है अपितु सीमा सुरक्षा दल में भी तैनात है। यह नारी शिक्षा का ही परिणाम है कि आज नारी बेचारी नहीं रही है अपितु सशक्त हो गई है।