Shiny Abraham Wilson, शाइनी अब्राहम विल्सन – Biography, Birth, Achievements, Records, Career Info, Age, Complete Essay, Biography, Paragraph in Hindi.

शाइनी अब्राहम विल्सन

Shiny Abraham Wilson

 

जन्म : 8 मई, 1965 जन्मस्थान : थोडुपुझा, इडुकी (केरल)

शाइनी अब्राहम विल्सन भारत की एक ऐसी एथलीट हैं जिन्होंने भारत एथलेटिक्स में विश्व में 75 बार से अधिक बार प्रतिनिधित्व किया। 1996 में उन्हें ‘बिरला पुरस्कार दिया गया। 1998 में शाइनी को ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। एशिया के 10 सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में एक होने के कारण उन्हें 1991 में चीनी पत्रकार सम्मान भी प्रदान किया गया।

शाइनी अब्राहम 14 वर्षों तक 800 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय चैंपियन रहीं। उन्होंने भारत का 75 से भी अधिक बार प्रतिनिधित्व किया। वह सम्भवतः एकमात्र ऐसी खिलाड़ी हैं जिन्होंने छह बार एशियाई खेलों में भाग लिया।

बचपन में ही शाइनी का खेलों के प्रति रुझान हो गया था। वह एथलेटिक खेलों में रुचि रखती थीं। उन्होंने कोट्टायम के खेल विभाग में ट्रेनिंग लेकर अपनी प्रतिभा को निखारा। वास्तव में केरल के इसी खेल विभाग के विभिन्न शहरों में प्रसिद्ध एथलीट पी. टी. उषा और एम. डी वालसम्मा ने ट्रेनिंग ली थी। बड़े होने पर इन सभी के कोच एन. आइ. एस. कोच पी. जे. देवेस्ला थे। उसके बाद शाइनी अब्राहम ने अपनी खेलों की शिक्षा त्रिवेन्द्रम के जी. वी. राजा स्पोर्ट्स स्कूल से ली। इसके पश्चात् वह पलाई के अल्फोसा कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने चली गईं।

शाइनी अब्राहम का कैरियर पी. टी. उषा के समय में उनके साथ-साथ चलता रहा। 1982 में नई दिल्ली के एशियाई खेलों में शाइनी अब्राहम तथा पी. टी. उषा दोनों ने देश का प्रतिनिधित्व किया। 1981 में शाइनी 800 मीटर दौड़ में देश की राष्ट्रीय चैंपियन बन गईं, उसके अगले ही वर्ष 1982 में नई दिल्ली में एशियाई खेल होने थे। इस विजय के पश्चात् शाइनी ने देश की जिस भी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, उसमें कोई न कोई पदक अवश्य प्राप्त किया।

शाइनी सम्भवतः 1984 के लॉस एंजिल्स के ओलंपिक खेलों को कभी नहीं भुला सकेंगी जहां वह ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल तक पहुँचने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं।

शाइनी ने चार ओलंपिक खेलों में भाग लिया, 1985 में जकार्ता से शुरू करने के बाद छह एशियन ट्रेक एंड फील्ड मीट में लगातार हर बार हिस्सा लिया।

शाइनी को अच्छे अनुभवों के साथ-साथ कुछ खट्टे-कड़वे अनुभव भी हुए। 1996 में सियोल में हुए एशियाई खेलों में जब वह अपने लक्ष्य के क़रीब पहुँचने वाली थीं, तब उन्होंने अपना ट्रैक बदलते हुए भीतरी लेन में दौड़ना शुरू कर दिया, अंततः उन्हें खेल से ‘डिसक्वालीफाई कर दिया गया।

शाइनी उस रिले टीम का भी हिस्सा रहीं जिसने एशिया का नया रिकॉर्ड बनाया था। उसके बाद रिले टीम का यह रिकॉर्ड और भी बेहतर हो गया था।

1989 में दिल्ली में हुई एशियाई ट्रैक एंड फील्ड मीट शाइनी के लिए अत्यन्त यादगार प्रतियोगिता रही क्योंकि गर्भवती होने के बावजूद शाइनी 800 मीटर दौड़ में द्वितीय स्थान प्राप्त कर सकीं जबकि चीन की सुन सुमेई प्रथम आई थीं। लेकिन सुमोई डोप टेस्ट में पॉजिटीव पाई गईं और शाइनी को विजेता घोषित कर दिया गया। उन दिनों शाइनी के कोच श्री रामसिंह थे, जिनके निर्देशन में वह ट्रेनिंग ले रही थीं।

1992 का वर्ष शाइनी अब्राहम के लिए खुशियां लेकर आया। 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में शाइनी के लिए यह अत्यन्त गर्व की बात थी कि वह ओलंपिक खेलों में झंडा लेकर चलने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं।

शाइनी अब्राहम के लिए एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि वह अपने बच्चे को जन्म देने के बाद भी प्रतियोगिता में पहले से तेज़ गति से दौड़ सकीं। 1995 में चेन्नई में हुए दक्षिण एशियाई फैडरेशन (सैफ) खेलों में वह अपनी बेटी शिल्पा को जन्म देने के बाद 800 मीटर दौड़ में रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहीं जब उन्होंने 1:15:8 समय का रिकॉर्ड बनाया। वह पहली बार 2 मिनट से कम समय में 800 मीटर की दौड़ लगाने में सफल रही थीं।

शाइनी ने चार विश्व कप प्रतियोगिताओं में भाग लिया। वह एकमात्र ऐसी खिलाड़ी हैं जिसने छह एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट में भाग लिया। उन्होंने यह सिलसिला 1985 में जकार्ता से आरम्भ किया था। इन एशियाई प्रतियोगिताओं में शाइनी ने सात स्वर्ण, दो रजत तथा दो कांस्य पदक जीते। इसके अतिरिक्त दक्षिण एशियाई फैडरेशन (सैफ) खेलों में शाइनी ने सात बार भाग लिया और 18 स्वर्ण तथा 2 रजत पदक जीते। शाइनी का विवाह अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त तैराक तथा ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ी चेरियन विल्सन से हुआ है और शाइनी का पूरा नाम शाइनी अब्राहम विल्सन हो गया है।

शाइनी फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया में डिप्टी मैनेजर (खेल) के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें 1985 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। फिर 1996 में उन्हें ‘बिरला पुरस्कार’ तथा 1998 में ‘पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शाइनी उन विरले खिलाड़ियों में से हैं जिन्हें चीनी पत्रकार पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार एशिया के दस सर्वश्रेष्ठ एथलेटिक खिलाड़ियों में से एक होने पर 1991 में प्रदान किया गया।

उपलब्धियां :

शाइनी अब्राहम 14 वर्षों तक 800 मीटर दौड़ की राष्ट्रीय चैंपियन रहीं।

उन्होंने भारत का विश्व के विभिन्न देशों में 75 से अधिक बार प्रतिनिधित्व किया।

उन्होंने छह बार एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट में भाग लिया। जिसमें उन्होंने सात स्वर्ण, पांच रजत तथा दो कांस्य पदक प्राप्त किए।

शाइनी ने सात बार सैफ खेलों में भाग लेकर 18 स्वर्ण तथा दो रजत पदक जीते।

1984 के लास एंजिल्स के ओलंपिक खेलों में वह सेमीफाइनल तक पहुँची।

वह उस रिले टीम की सदस्या थीं जिसने एशियाई रिकॉर्ड बनाया था।

1989 के एशियाई ट्रैक एंड फील्ड मीट, दिल्ली में वह गर्भवती होते हुए भी द्वितीय स्थान प्राप्त कर सकीं।

शाइनी अब्राहम विल्सन को ‘अर्जुन पुरस्कार’ (1985), ‘बिरला पुरस्कार’ (1996) तथा ‘पद्मश्री पुरस्कार (1998) से सम्मानित किया गया। में उन्हें 1991 में ‘चीनी पत्रकार पुरस्कार’ प्रदान किया गया।

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