Shiksha Se Vanchit Bachpan “शिक्षा से वंचित बपचन” Hindi Essay 300 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

शिक्षा से वंचित बपचन

Shiksha Se Vanchit Bachpan

जब घर के मालिक के पास इतना काम भी न हो कि अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा सके, उन्हें भरपेट खिला सके, उनका तन ढक सके तो विवशतावश उसे अपने बच्चों को काम-धंधे के लिए सड़क पर उतारना पड़ता है। ये बच्चे तब आपको सड़कों पर सब्जी मंडी में या तो सब्जी बेचते नजर आएँगे या फिर कारखानों में मजदूरी करते हुए। यह उम्र उनकी पढ़ने-लिखने की होती है पर इस उम्र में उन्हें लोगों के घरों में नौकरी करनी पड़ती है। वे पढ़ाई से पूरी तरह वंचित कर दिए जाते हैं। हालांकि बच्चों से कारखानों में काम नहीं लिया जा सकता, न ही उन्हें घरों में काम करने की अनुमति है। लेकिन वे नहीं करेंगे तो क्या करेंगे? उन्हें अपना व अपने परिवार का पेट तो भरना ही है। जो बच्चों को खेलने-कूदने की आयु होती है वह काम करने में बीत जाती है। ऐसे बच्चे उम्रभर अशिक्षित रहते हैं। वे भले लोगों की तरह अपना जीवन नहीं जी पाते। अपने सपनों को साकार नहीं कर पाते। शारीरिक रूप से वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। ये बच्चे भी पढ़ना-लिखना चाहते हैं। पढ़कर कुछ बनना चाहते हैं पर करें क्या? पेट भरें या पढ़ें। ऐसे में सरकार की यह गारंटी होनी चाहिए कि ऐसे बच्चों को पहचान कर जरूरत के मुताबिक उनकी आर्थिक सहायता की जाए और उन्हें नि:शुल्क पढ़ाने की व्यवस्था की जाए। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो ये बच्चे आगे चलकर विभिन्न अपराधों में शामिल हो सकते हैं। सरकार ही नहीं, सामाजिक संगठनों को भी इस दिशा में काम करना चाहिए। बच्चों की आर्थिक सहायता करते हुए उन्हें पढ़ाना-लिखाना चाहिए ताकि ये भी देश की सेवा में अपना योगदान दे सकें।

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