समाज में बढ़ती अराजकता
Samaj mein Badhti Arajakta
जब देश में शासन अपने दायित्व के प्रति लापरवाह हो जाता है तब अराजकता का माहौल हो जाता है। यह हालत कसा भी देश के लिए सबसे खतरनाक स्थिति है। इतिहास गवाह है, जब भी किसी देश अथवा राष्ट में अराजकता फैली है ता विदाशया ने उसे गुलाम बना लिया अथवा अपने अधीन कर लिया। भारत भी इसका स्वाद चख चका है। पहले यह मुगल शासका का गुलाम रहा बाद में अंग्रेजों का। भारत को इस अराजकता से मक्ति दिलाने में राष्ट्रभक्तों ने अपने खून से होली खेली। तब जाकर यह स्वतंत्र हुआ।
आज भी देश में अराजकता का माहौल है। कानून-बंदोबस्त के हालात बहुत खराब है। शासकों का समाज पर नियन्त्रण ढीला पड़ रहा है। शासन में भ्रष्टाचार, हिंसा, अपहरण, चोरी, डकैती, बाल अपराध तथा स्त्रियों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। आज सरेआम अपराधी अपराध कर बेखोफ घूम रहे हैं। अपराधियों के इरादे इतने बढ़ गए हैं कि मथुरा में जवाहर बाग कांड हो जाता है जिसमें पुलिस अधिकारी और निर्दोष मारे जाते हैं। इसी तरह मुजफफरनगर के कराना क्षेत्र में अपराधियों की इनती दहशत है कि लोगों ने गाँव खाली करने शुरू कर दिए हैं। उधर कश्मीर में भी आतंकवादियों ने अराजकता फैला रखी है। नक्सलप्रभावित क्षेत्रों में भी यही हाल है। प्रतिदिन कानून के रखवाले अपराधियों से लड़ते हुए शहीद हो रहे हैं। बिहार में निडर पत्रकार की हत्या हो जाती है। उत्तर प्रदेश में पुलिस अधिकारी को बदमाश सरेआम गोली मार जाते हैं। स्त्रियों की कभी भी बेज्जती कर दी जाती है। बलात्कार, मारपीट की घटनाएँ आम हो गई हैं। प्रतिदिन समाचार-पत्रों में इस प्रकार की खबरें पढ़ने को मिलती हैं। नेतागण एक-दूसरे को इसका दोषी ठहराते हैं। बहस होती है. चर्चा की जाती है, परन्तु अपराध का ग्राफ नीचे नहीं आता।
देश में बढ़ती अराजकता चेतावनी दे रही है कि समय रहते सजग नहीं हुए तो देश को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। अकेले सरकार भी यह अराजकता दूर नहीं कर सकती इसके लिए जनता को मिलकर काम करना होगा। तभी अराजकता पर नकेल लग सकेगी।