समाचारपत्रों की उपयोगिता
Samacharpatro ki Upyogita
जैसे हम सो के उठते हैं हमारे आँगन में समाचार पत्र गिरा मिलता है। आज विश्व जानना आवश्यक हो गया है। हालाँकि इंटरनेट आज जानकारी प्रदान करने वाला सबसे तेज़ माध्यम है तथापि अगर हम जानकारी विस्तृत रूप से ग्रहण करना चाहते हैं तो हमें समाचारपत्र का आश्रय लेना होगा। समाचारपत्र ने आज हममें मानवता जगाने का काम किया है। हम समाचारपत्रों से जानते हैं कि समाज का वर्ग कैसा जीवन व्यतीत कर रहा है, उसकी आवश्यकताएँ क्या हैं, हम उनसे संपर्क कर उनकी समस्या हल करने का प्रयास करते हैं।
समाचार सारे संसार की गतिविधियों से अवगत कराता है। विभिन्न विषयों पर, घटनाओं पर क्या दृष्टिकोण हो सकता है उससे हमें परिचित कराता है। इस तरह समाचारपत्र का काम केवल समाचारों का संकलन कर हमें परोसना मात्र नहीं है अपितु संबंधित समाचारों पर ज्ञानवर्धक टिप्पणी, तात्कलिक घटनाओं पर आलेख और लेख आदि से भी परिचित कराना है। ये लेख राजनीतिक होते हैं, कलात्मक होते हैं, ज्ञान विज्ञान से संबद्ध होते हैं, धर्म और दर्शन विषय लिए होते हैं। समाचारपत्रों में विगत घटनाओं पर संपादकीय के रूप में त्वरित और तीखी टिप्पणी होती है।
समाचारपत्रों का प्रभाव इतना बढ़ गया है कि कोई बड़े से बड़ा और धनिक से धनिक क्यों न हो बिना समाचारों के रह नहीं सकता। कोई भी समाचारपत्रों की उपेक्षा नहीं कर सकता चाहे वह केन्द्रीय मंत्री स्तर का क्यों न हो। वस्तुत: लोकमत बनाने में समाचारपत्र काम आते हैं। समाचारपत्र व्यक्ति की स्वाधीनता और अन्य मौलिक अधिकारों के प्रतीक हैं। जन हितकारी काम की समाचार पत्र सराहना करते हैं लेकिन समाज विरोधी कार्यो की कड़ी निंदा करते हैं। समाज में ऐसा वातावरण तैयार करते। हैं जिनसे राजनेता बहुत कुछ सीखते हैं। समाचारपत्रों से राजनेताओं को पता चलता है कि उनके क्षेत्र में क्या हो रहा है। उन्हें क्या करना चाहिए और जितना किया है उसका उसके क्षेत्र के वासियों को लाभ मिल रहा है या नहीं। समाचारपत्र लेखकों के विचारों को जन-जन तक पहुँचाते हैं। उनके विचार लोगों को एक नई दिशा देते हैं और जनता उन पर अमल कर अपने जीवन का रास्ता तय करती है।
समाचारपत्र केवल सूचनाओं को एकत्र करने का काम नहीं करता। अपने पाठकों को समाचारों से ही परिचित नहीं है अपितु यह जनजागरण का भी सर्वोत्तम माध्यम है। यह जनप्रचार का अमोघ माध्यम है। अन्य माध्यम तो सन सन कर आगे बढ़ जाते हैं पर समाचारपत्र में प्रकाशित सूचनाएँ लंबे समय तक संभाल कर रखी जा सकती हैं। कोई कि नेता क्यों न हो उसे अपनी उपलब्धियाँ समाचारपत्रों तक जन-जन तक पहुंचानी पड़ती है। उनकी उपलब्धियों को पढकर जनता मूक नेता के संबंध में अपनी धारणा बनाती है। राजनैतिक दल अपने कामों का हिसाब समाचारपत्रों के माध्यम से देते हैं। चनावों में समाचारपत्र राजनेताओं के प्रचार का सशक्त माध्यम बनते हैं। एक उर्दू के शायर अकबर इलाहाबादी ने समाचारपत्र के बारे में ठीक ही लिखा है-
खींचों न तीर कमान न तलवार निकालो
जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो।