आपकी सखी बहुत गुस्से वाली है। उसे शांत स्वभाव अपनाने की सीख दीजिए।
महिमा
234, आदर्श नगर
भिवानी
12 अप्रैल, 2014
प्रिय सोनाली
स्नेह!
आशा है, तुम आनंद में होगी। पिछली बार मैंने तुम्हें बहुत गुस्से में देखा था। तुम्हारा यह रूप देखकर मैं बहुत डर गई थी। मुझे डर लगा कि कहीं यह गुस्सा तुमसे कोई बड़ा अनिष्ट न करवा डाले। गुस्सा चंडाल होता है। गुस्से में आदमी का अपना शांत स्वभाव और प्रेम दब जाता है। इसीलिए मुझे तुम्हारे उग्र रूप से डर लगा। गुस्से में तुम कितनी भयानक लग रही थी, यह देख लो तो गस्सा करना छोड़ दो। मेरा तुमसे आग्रह है कि अपने शांत स्वभाव को जहाँ तक हो सके, बनाए रखने का प्रयत्न किया करो। सच कहूँ, मैं तुम्हारे मुस्कराते चेहरे की ही फैन हूँ। मुझे अपनी प्रशंसक बनाए रखो।
आशा है, तुम बुरा न मानोगी।
तुम्हारी महिमा