सचिन तेंदुलकर
Sachin Tendulkar
जन्म : 24 अप्रैल, 1973 जन्मस्थान : मुम्बई (महाराष्ट्र)
सचिन के नाम इतने अधिक रिकार्ड हैं कि कोई भी क्रिकेट खिलाड़ी जल्दी उन रिकार्डों को तोड़ नहीं पाएगा। सचिन अन्तरराष्ट्रीय मैचों में 30,000 से अधिक रन बनाने वाला विश्व का प्रथम बल्लेबाज़ है। सचिन को ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार पाने वाला वह पहला क्रिकेट खिलाड़ी है।
सचिन तेंदुलकर ने समय के साथ रनों का अम्बार लगा दिया है। उन्होंने 442 एक दिवसीय मैचों में 17,549 रन बना लिए हैं। इतने रन बनाने के बाद सचिन विश्व के ऐसे प्रथम खिलाड़ी बन गए, जिन्होंने इतने बड़े आँकड़े को छुआ है।
विश्व के श्रेष्ठतम बल्लेबाज़ माने जाने वाले आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन ने एक बार सचिन के बारे में कहा था – “मैंने उसे टीवी पर खेलते हुए देखा और उसकी खेल तकनीक देखकर दंग रह गया। तब मैंने अपनी पत्नी को अपने पास बुला कर उसे देखने को कहा। हालांकि मैंने स्वयं को खेलते हुए कभी नहीं देखा, लेकिन मुझे महसूस होता है कि यह खिलाड़ी ठीक वैसा ही खेलता है जैसा मैं खेलता था।”
वास्तव में सचिन क्रिकेट का हीरो और एक ऐसा रोल मॉडल है जिसे सभी भारतीय पसन्द करते हैं। कल की सी बात लगती है जब सचिन तेंदुलकर क्रिकेट क्षेत्र में उतरा-एक घंघराले बालों वाला 15 वर्षीय सचिन, जिसकी भर्राई सी आवाज़ ने लोगों के दिल में स्थान बना लिया।
वह लगभग 15 वर्ष का ही था जब उसने 1988 में स्कूल के क्रिकेट मैच में विनोद काम्बली के साथ 664 रन बनाए थे। लोग उसके खेल का करिश्माई अंदाज़ देखते ही रह गए थे। इसके बाद उसका क्रिकेट के मैदान में अन्तरराष्ट्रीय मैचों में प्रदर्शन इतना अच्छा रहा है कि लोग कहते हैं कि वह वाकई लाजवाब है।
सचिन तेंदुलकर ने 1989-90 में कराची में पाकिस्तान के विरुद्ध अपना पहला टेस्ट मैच खेल कर अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत की थी। तब से अब तक के कैरियर में सचिन ने उन ऊंचाइयों को छू लिया है, जिसे छूना किसी अन्य क्रिकेट खिलाड़ी के लिए शायद ही सम्भव हो सके। आक्रामक बल्लेबाजी उसका अंदाज है। उसका बल्ला यूं घूमता है कि दर्शकों को अचम्भित कर देता है। यदि वह जल्दी आउट भी हो जाता है तो भी अक्सर अपना करिश्मा दिखा ही जाता है। गेंदबाजी में भी वह अपना करिश्मा कभी-कभी दिखा देता है। एक दिवसीय मैचों में दस हजार से अधिक रन बनाने वाला वह पहला बल्लेबाज़ है। उसने सौ से अधिक विकेट लेने का करिश्मा भी दर्शकों को दिखाया है।
सचिन ने दर्शकों के मानस पटल पर अपने खेल की अविस्मरणीय छाप छोड़ी है। उसने टैस्टों और एक दिवसीय मैचों में अनेकों शतक व हज़ारों रन बना डाले हैं जितने आज तक कोई नहीं बना सका है।
जब सचिन केवल 11 वर्ष का था, तब वह बेहद शैतान था। मां-बाप को वह अपनी शैतानियों से परेशान करता रहता था। एक बार वह शैतानी करते हुए पेड़ से गिर गया। तब सचिन के बड़े भाई अजीत के दिमाग में विचार आया कि उसे क्रिकेट की कोचिंग क्लास के लिए भेज दिया जाए ताकि उसकी अतिरिक्त ऊर्जा खेलों में खर्च हो सके।
कहा जा सकता है कि यह सचिन की अतिविशिष्ट ज़िन्दगी की शुरुआत थी। आज सचिन 150 से अधिक टेस्ट खेलने वाले गिने चुने खिलाड़ियों की श्रेणी में आते हैं। सचिन ने 1989 में पाकिस्तान के विरुद्ध प्रथम अन्तरराष्ट्रीय मैच खेला था। तब सचिन केवल 16 वर्ष का था और प्रथम पारी में वह बहुत ही। नर्वस व घबराया हुआ था। सचिन को तब यूं महसूस हुआ था कि शायद वह ज़िन्दगी में आगे अन्तरराष्ट्रीय मैच और नहीं खेल सकेगा। अकरम और वकार की तेज़ गेंदों के सामने वह केवल 15 रन ही बना सका था। लेकिन दूसरे टेस्ट में जब उसे खेलने का मौका मिला तब उसने 59 रन बना लिए और उसके भीतर आत्मविश्वास जाग उठा।।
सचिन देखने में सीधा-सादा इंसान है। वह अति प्रसिद्ध हो जाने पर भी नम्र स्वभाव का है। वह अपने अच्छे व्यवहार का श्रेय अपने पिता को देता है। उसका कहना है -“मैं जो कुछ भी हूं अपने पिता के कारण हूँ। उन्होंने मुझ में सादगी और ईमानदारी के गुण भर दिए हैं। वह मराठी साहित्य के शिक्षक थे। और हमेशा समझाते थे कि ज़िन्दगी को बहुत गम्भीरता से जीना चाहिए। जब उन्हें अहसास हुआ कि शिक्षा नहीं, क्रिकेट मेरे जीवन का हिस्सा बनने वाली है, उन्होंने उस बात का बुरा नहीं माना। उन्होंने मुझसे कहा कि ईमानदारी से खेलो। और अपना स्तर अच्छे से अच्छा बनाए रखो। मेहनत से कभी मत घबराओ सचिन को भारतीय क्रिकेट टीम का कैप्टन बनाया गया था, परन्तु 2000 में उन्होंने मोहम्मद अजहरूद्दीन के आने के बाद वह पद छोड़ दिया।
सचिन, जिसे सुपर स्टार कहा जाता है, जीनियस कहा जाता है, जिसका एक-एक स्ट्रोक महत्त्वपूर्ण माना जाता है, अपने पुराने मित्रों को आज भी नहीं भूला है चाहे वह विनोद काम्बली हो या संजय मांजरेकर। जब मुम्बई की टीम में सचिन ने खेलना आरम्भ किया था तो संजय ने राष्ट्रीय टीम की ओर से खेला था। ये दोनों पुराने मित्र हैं।
क्रिकेट के अतिरिक्त सचिन को संगीत सुनना और फिल्में देखना पसन्द है। सचिन क्रिकेट को अपनी ज़िन्दगी और अपना खून मानते हैं। क्रिकेट के कारण प्रसिद्धि पा जाने पर वह किस चीज़ का आनन्द नहीं ले पाते –यह पूछने पर वह कहते हैं कि दोस्तों के साथ टेनिस की गेंद से क्रिकेट खेलना याद आता है।
29 वर्ष और 134 दिन की उम्र में सचिन ने अपना 100वां टैस्ट इंग्लैण्ड के खिलाफ खेला। 5 सितम्बर, 2002 को ओवल में खेले गए इस मैच से सचिन 100वां टेस्ट खेलने वाला सबसे कम उम्र का खिलाड़ी बन गये।।
सचिन के क्रिकेट खेल की औपचारिक शुरुआत तभी हो गई जब 12 वर्ष की उम्र में क्लब क्रिकेट (कांगा लीग) के लिए उसने खेला।
सचिन बड़ी-बड़ी कम्पनियों का ब्रांड एम्बेसडर बना है। एम आर एफ टायर, पेप्सी, एडिडास, वीज़ा मास्टर कार्ड, फिएट पैलियो जैसी नामी कम्पनियों ने उसे अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया। बड़ी कम्पनियों में विज्ञापन के लिए उसकी सबसे ज्यादा मांग है। 1995 में सचिन ने 70 लाख पचास हज़ार (7.5 मिलियन) डालर का वर्ल्ड टेल कम्पनी के साथ 5 वर्षीय अनुबंध किया। इससे सचिन विश्व का सबसे धनी क्रिकेट खिलाड़ी बन गया। इसके पूर्व ब्रायन लारा ने ब्रिटेन की कम्पनी के साथ सर्वाधिक 10 लाख 90 हजार डॉलर का अनुबंध किया था।
सचिन ने 2009 में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। अन्तरराष्ट्रीय मैचों में 30,000 से अधिक रन बनाने वाला वह एकमात्र खिलाड़ी बन गया है। उसने 166 टेस्ट मैचों में 47 टेस्ट शतक के साथ 13,147 रन बनाने के अतिरिक्त 142 एक दिवसीय मैचों में 46 शतकों के साथ 17,594 रन बनाए हैं। एक दिवसीय शतकों में एक दोहरा शतक भी है जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है। । उसके बारे में कहा जाता है वह विवियन रिचर्ड, मार्क वॉ, ब्रायन लारा सब को मिलाकर एक है। तेंदुलकर मानो एक आदमी की सेना है। वह शतक बनाता है, उसे गेंद दे दो, वह विकेट ले लेता है, वह टीम के अच्छे फील्डरों में से एक है। हम भाग्यशाली हैं कि वह भारतीय हैं।
25 मई, 1995 को सचिन ने डाक्टर अंजलि मेहता से विवाह कर लिया। उनके दो बच्चे हैं। बड़ी बच्ची का नाम ‘सराह’ है जिसका अर्थ है कीमती। छोटा बच्चा बेटा है। सचिन की अंजलि से 1990 में मुलाकात हुई। सचिन ने एक बार इंटरव्यू में कहा था- “मुझे उससे प्यार इसलिए हो गया क्योंकि उसके गाल गुलावी हो उठते हैं।”
सचिन का पूरा नाम सचिन रमेश तेंदुलकर है। उसका नाम उसके माता-पिता ने अपने पंसदीदा संगीत निर्देशक सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा। सचिन ने अपना पहला साक्षात्कार दादर के एक ईरानी रेस्टोरेंट में अपने बड़े भाई से दिलवाया था क्योंकि तब उसमें अधिक आत्मविश्वास नहीं था।
सचिन को बचपन में क्रिकेट से कोई विशेष लगाव न था। क्रिकेट में शामिल होने पर वह तेज़ गेंदबाज़ बनना चाहता था, इसलिए डेनिस लिली से प्रशिक्षण के लिए एम.आर.एफ. पेस एकेडेमी में गया। तब उसे बताया गया कि उसे बल्लेबाजी पर ध्यान लगाना चाहिए।
सचिन को अपनी मां के हाथ का भोजन बहुत पसन्द है विशेषकर सी-फूड। इस कारण उसके आने पर वह विशेष रूप से मछली मंगवाती है।
सचिन के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य :
- मात्र बारह वर्ष की उम्र में सचिन ने क्लब क्रिकेट (कांगा लीग) में खेलना शुरू किया।
- बाम्बे स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट में अपना पहला शतक 1986 में बनाया। फिर अगले वर्ष स्कुल क्रिकेट में 1200 रन बनाए जिनमें दो तिहरे शतक भी शामिल थे।
- 1988-89 में सचिन ने रणजी ट्राफी में बम्बई की तरफ से खेला और शतक बनाया। वह बम्बई की तरफ से खेलने वाला अब तक का सबसे कम उम्र का खिलाड़ी था। अगले वर्ष वह ईरानी ट्राफी के लिए टीम में शामिल हुआ और 103 रन बनाए। उसके पश्चात् दलीप ट्राफी में शामिल होने पर पश्चिमी जोन की ओर पूर्वी जोन के विरुद्ध 151 रन बनाए। इस प्रकार तीनों देशीय टूर्नामेंटों में प्रथम बार भाग लेने पर शतक लगाने वाला प्रथम भारतीय खिलाड़ी बन गया।
- जब सचिन और विनोद काम्बली ने मिल कर सेंट जेवियर्स के विरुद्ध शारदाश्रम के लिए 664 रन बनाए तब किसी भी क्रिकेट खेल के लिए यह विश्व रिकार्ड बन गया। इसमें सचिन ने 326 नाट आउट का स्कोर बनाया। फिर बाम्बे क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से उसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी घोषित किया गया। 1991 में 18 वर्ष की आयु में सचिन यार्कशायर का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रथम बाहरी खिलाड़ी बना। उस वर्ष उसे ‘वर्ष का क्रिकेटर चुना गया।
- 1992 में वह पहला खिलाड़ी बना जिसे तीसरे अम्पायर द्वारा आउट करार दिया गया।
- सचिन ने अपने खेल की शुरुआत से लगातार हर टेस्ट मैच खेला और लगातार 84 टेस्ट खेले।
- सचिन 29 वर्ष 134 दिन की आयु में 100वां टैस्ट मैच खेलने वाला सबसे कम आयु का खिलाड़ी बना। है सचिन का पहला टेस्ट 1989 में कराची में हुआ जो कपिल का 100 वां टैस्ट मैच था।
- जिन खिलाड़ियों ने 150 या अधिक टैस्ट मैच खेले हैं, उनमें सचिन का औसत सर्वाधिक है यानी 7।
- 1992 में 19 वर्ष की आयु में टेस्ट मैच में 1000 रन बनाने वाला सचिन विश्व का सबसे कम उम्र का खिलाड़ी है।
- 20 वर्ष की आयु से पूर्व टैस्ट मैच में 5 शतक बनाने वाला सचिन प्रथम व एकमात्र खिलाड़ी है। है सचिन ने अपना पहला टेस्ट शतक इंग्लैण्ड के विरुद्ध बनाया। तब उसने 119 रन बनाए और नॉट आउट रहा। पाकिस्तान के मुश्ताक मोहम्मद के बाद सचिन सबसे कम आयु का दूसरा खिलाड़ी है। 2 अक्टूबर 2009 में सचिन 30,000 रन बना कर अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में इतने रन बनाने वाला विश्व का प्रथम बल्लेबाज़ बन गया।
- जुलाई, 2002 में ‘विज़डन’ (लन्दन) द्वारा सचिन को पीपुल्स च्वाइस” अवार्ड दिया गया।
- सचिन दुनिया का सफलतम बल्लेबाज़ है। 2010 के प्रारंभ तक सचिन 46 शतकों के साथ वन डे में सर्वाधिक 17594 रन बनाने वाला खिलाड़ी बना।
- मार्च 2010 तक सचिन 93 अर्द्धशतक बनाकर एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मैचों में सर्वाधिक अर्द्धशतक बना चुके हैं। सचिन ने 442 मैचों में 93 अर्द्धशतक लगाए सचिन 46 शतक बनाकर विश्व रिकार्ड बना चका है।
- 60 बार वह ‘मैन ऑफ द मैच’ का पुरस्कार जीत चुका है। यह एक रिकार्ड है।
- 10 दिसम्बर, 2005 को सचिन ने दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर टैस्ट मैचों में सर्वाधिक शतक (31 शतक) बनाने का सुनील गावस्कर का रिकार्ड तोड़ दिया और अपना 35वां शतक श्रीलंका के खिलाफ बनाया। इस टेस्ट मैच में उसने गावस्कर के 125 टैस्ट खेलने के रिकार्ड की भी बराबरी की। 8 टैस्ट मैच में दस हज़ार से अधिक रन बनाने वाले सचिन सबसे युवा खिलाड़ी हैं।
- विज्ञापनों की दुनिया का उन्हें बादशाह कहा जाता है। सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 2006 में उन्होंने आइकोनिक्स से 6 वर्ष के लिए 180 करोड़ का अनुबंध किया। इससे पूर्व उन्होंने वर्ल्ड टेल के साथ 5 वर्ष का 100 करोड़ का अनुबंध किया था।
- वह वन डे में सर्वाधिक 17594 रन (मार्च 2010 तक) बना चुके थे।
- हीरो होंडा स्पोर्ट्स अकादमी ने वर्ष 2004 के लिए सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का श्रेष्ठतम खिलाड़ी नामांकित किया।
- मार्च 2010 तक सचिन 166 टैस्ट मैचों में 13447 रन और 442 वन डे मैचों में 17594 रन बना चुके थे।
- सचिन को अक्सर क्रिकेट का भगवान कहा जाता है। सचिन से यह पूछे जाने पर कि उन्हें यह सुनकर कैसा लगता है, उनका कहना था –
- मैं देवता नहीं हूं। लेकिन मुझे खुशी मिलती है जब मेरे देश के लोग मुझ पर इतना भरोसा जताते हैं। मैं देश के भाई-बहनों के चेहरे पर मुस्कान ला सकू इससे बड़ी बात क्या होगी? भगवान ने मुझे यह वरदान दिया है।
- 35वां शतक बनाने पर सचिन ने कहा- “वैसे तो सभी शतक महत्त्वपूर्ण रहे हैं। मैंने पहला शतक 17 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड के खिलाफ ओल्ड टेफर्ड में जमाया था। पहला होने के कारण वह भी यादगार है और यह 35वां शतक भी सबसे यादगार रहेगा। सचिन को भगवान में परा विश्वास है। साईं बाबा और गणपति के वह अनन्य भक्त हैं।
- एकमात्र खिलाड़ी हैं जिसने अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय मैचों में 15000 से अधिक विकेट लिये हैं।
- 2010 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध एक दिवसीय मैचों में 200 नाट आउट बनाया गया, एक दिवसीय मैचों में बनाया गया एकमात्र दोहरा शतक है। सचिन तेंदुलकर को अब तक ‘पद्म-विभूषण’, ‘अर्जुन पुरस्कार’, ‘राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार’ भारत रत्न आदि मिल चुके हैं।