रामकृष्ण परमहंस जयन्ती (Ramakrishna Paramhansa Jayanti)
बंगाल का एक परंपरागत ब्राह्मण परिवार था। परिवार के मुखिया खुदीराम चट्टोपाध्याय काफी गरीब थे। वे बंगाल के एक छोटे से गाँव कामारपुकुर में रहते थे। छोटा-सा गाँव लेकिन प्रकृति के हाथों सँवारा हुआ। चावलों के खेत, ताल, तलैया और ताड़ के वृक्षों से घिरा हुआ था गाँव ।
खुदीराम की आयु तब साठ वर्ष की थी। उन्हें एक दिन अन्तर आत्मा की आवाज सुनाई दी कि तीर्थ-यात्रा पर जाना चाहिए। खुदीराम ने यात्रा की तैयारी की और एक दिन तीर्थ-यात्रा पर निकल पड़े। गया जा पहुँचे । वहीं एक रात उन्हें स्वप्न आया । स्वप्न में स्वयं भगवान् ने कहा मैं विश्व उत्थान के लिए फिर से पृथ्वी पर जन्म लेने वाला हूँ। चमत्कार की बात यह थी कि ठीक उसी समय कामारपुकुर गाँव में उनकी पत्नी चन्द्रमणि को भी यही सपना आया। उन्हें भी भगवान् ने यही कहा । चन्द्रमणि हड़बड़ाकर उठ बैठीं। उन्हें भी अहसास हुआ कि स्वयं भगवान् कहीं महसूस किया। आस-पास थे। कहते हैं उन्होंने एक प्रकाश-पुंज को अपने भीतर प्रवेश करते
उधर खुदीराम तीर्थ-यात्रा से लौटे। उनमें स्वयं में एक आंतरिक खुशी झलक रही थी। परन्तु उन्होंने जब अपनी पत्नी चन्द्रमणि को देखा तो उन्हें उसमें काफी परिवर्तन नजर आया। क्योंकि चन्द्रमणि को तो यह पूरा विश्वास और अहसास था कि प्रभु स्वयं मेरी कोख से पैदा हो रहे हैं। और सचमुच वह 19 फरवरी का दिन था जब रामकृष्ण के रूप में एक बच्चे ने जन्म लिया।
श्री रामकृष्ण परमहंस ईश्वर के अवतार थे। उनकी जानकारी लिए बिना, उनका अध्ययन किए बिना कहते हैं पुराण, भागवत और वेदों का अध्ययन संभव नहीं है। रामकृष्ण का जीवन भारतीय धर्म के लिए प्रकाश- पुंज है। मार्गदर्शक है। प्रेरणास्रोत है। कहते हैं उनके गुणों का आदर करने वाले का ही जीवन सार्थक हो सकता है।
रामकृष्ण परमहंस की जयन्ती बंगाल में खूब धूम-धाम से मनाई जाती है। यों पूरे देश-विदेश में रामकृष्ण मिशन स्थापित किये हुए हैं। इन केन्द्रों पर इन भक्तगण इनकी जयन्ती काफी उल्लास और उमंग से मनाते हैं ।
समाज सुधारक, वेद-पुराण के परम विद्वान की जयंती मनाकर बच्चों को उनकी शिक्षा, उद्देश्य और दर्शन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
कैसे मनाएँ रामकृष्ण परमहंस जयंती (How to celebrate Ramakrishna Paramhansa Jayanti)
- आयोजन स्थल को सजाएँ।
- रामकृष्ण का फोटो लगाएँ ।
- माल्यार्पण कर दीप जलाएँ।
- रामकृष्ण समाज सुधारक थे। वेद-पुराण के विद्वान थे। भारतीय धर्म के वे पथ-प्रर्दशक थे। उनके जीवन के ऐसे प्रसंग और घटनाएँ बच्चों को सुनाई जाएँ।
- यदि संभव हो तो रामकृष्ण मिशन से उनके अनुयायी किसी विद्वान को बुलाकर रामकृष्ण के बारे में बच्चों को जानकारी दिलाई जाए।
- बच्चों को इस दिन रामकृष्ण के रूप में ही उपस्थित होने को कहा जाए। जो बालक रामकृष्ण के वेश में श्रेष्ठ सिद्ध हों उन्हें पुरस्कृत किया जाए।
- रामकृष्ण के वचनों को पोस्टर पर लिखकर लगाया जाए।